न्याय और कर्म के दाता शनिदेव को प्रसन्न करने के बेहद सरल उपाय
सूर्य पुत्र शनिदेव को कर्म-देवता कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शनि देव किसी भी व्यक्ति को उनके कर्मों के हिसाब से ही फल देते हैं, लेकिन वर्तमान समय में कोई भी इंसान सभी ग्रहों में से शनि ग्रह से ही सबसे ज्यादा भयभीत होता है।
बात शनिदेव की होती है तो लोग तमाम तरह की अनिष्ट चीज़ों को सोचने लग जाते हैं। लेकिन क्या शनिदेव से भयभीत होना सही है? क्या वाकई में अगर शनिदेव किसी से रुष्ट हो जायें तो उन्हें मनाना बेहद मुश्किल हो जाता है? आपके मन में उठ रहे इन्ही सब सवालों का जवाब आइये आज यहाँ जानने की कोशिश करते हैं।
देवताओं में शनि को ख़ास स्थान प्राप्त है। शास्त्रों में शनि को सूर्य का पुत्र और मृत्यु के देवता यम का भाई बताया गया है। शनि की विशेषताओं का बखान करते हुए प्राचीन ग्रंथ “श्री शनि महात्म्य” में लिखा गया है कि शनि देव का रंग काला है और उनका रूप सुन्दर है, उनकी जाति तैली है और वे काल-भैरव की उपासना करते हैं। लोगों में शनि को लेकर कई तरह की भ्रांतियाँ हैं। बहुत-से लोगों का मानना है कि शनि देव का काम सिर्फ़ परेशानियाँ देना और लोगों के कामों में विघ्न पैदा करना ही है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार शनि देव परीक्षा लेने के लिए एक तरफ़ जहाँ बाधाएँ खड़ी करते हैं, वहीं दूसरी ओर प्रसन्न होने पर वे सबसे बड़े हितैशी भी साबित होते हैं।
इतिहास-पुराणों में शनि की महिमा बिखरी पड़ी है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि गणेशजी का जन्म होने पर सभी ग्रह उनका दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुँचे। जैसे ही शनि ने आख़िर में भगवान गणेश के चेहरे पर नज़र डाली, उनका मस्तक कट कर धरती पर गिर गया। बाद में हाथी का सिर उनके धड़ पर लगाकर बालक गणेश को जीवित किया गया। शास्त्रों की यही बातें ज्योतिष में भी प्रतिबिम्बित होती हैं।
ज्योतिष में शनि को ठण्डा ग्रह माना गया है, जो बीमारी, शोक और आलस्य का कारक है। लेकिन यदि शनि शुभ हो तो वह कर्म की दशा को लाभ की ओर मोड़ने वाला और ध्यान व मोक्ष प्रदान करने वाला है। अगर शनि कुण्डली में अच्छा फल देने वाला हो, तो वह भाग्य को सकारात्मक मोड़ देता है और कैरियर को ऊँचाईयों पर ले जाता है।
ज्योतिष में साढ़े साती और ढैया आदि दोषों का कारण शनि को माना गया है। जब वर्तमान समय में शनि किसी की चंद्र राशि में, उससे एक राशि पहले या बाद में स्थित हो तो उसे साढ़े साती या शनि महादशा कहते हैं। इसे जातक के जीवन का सबसे कठिन दौर कहा जाता है।
कहते हैं कि साढ़े साती के दौरान भाग्य अस्त हो जाता है और हर काम नकारात्मक फल देता है। लेकिन साथ ही शनि को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाला ग्रह माना जाता है। यदि शनि की नियमित आराधना की जाए और तिल, तैल व काली चीज़ों का दान किया जाए, तो शनि देव की अनुकम्पा पाने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगता।
शास्त्रों के मतानुसार हनुमानजी भक्तों को शनि के सभी कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं। रामायण के एक आख्यान के मुताबिक़ हनुमानजी ने शनि को रावण की क़ैद से छुड़ाया था और शनि देव ने उन्हें वचन दिया था कि जो भी शनिवार के दिन हनुमानजी की उपासना करेगा, शनि देव सभी मुश्किलों से उसकी रक्षा करेंगे।
भारत में शनि देव के कई मन्दिर हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे हैं जो प्राचीन हैं। ऐसे ही मंदिरों में से एक है मुम्बई के पास देवनार में स्थित “शनि देवालयम”। ऐसी मान्यता है कि जो भी यहाँ शनि देव को तैल चढ़ाता है उसे साढ़े साती से तुरंत छुटकारा मिल जाता है और शनि देव उसकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं। शनि देव का सबसे प्राचीन मंदिर शनिशेंगणापुर में माना जाता है। कहते हैं कि कलियुग की शुरुआत में स्वयं शनिदेव यहाँ आकर रहने लगे थे। यहाँ जो भी भक्त श्रद्धा से शनि देव की उपासना करता है, वे उसे मनोवांछित फल देते हैं।
ज्योतिष में 12 राशियों में से दो मकर और कुंभ राशियों तथा 27 नक्षत्रों में पुष्य,अनुराधा एवं उत्तराभाद्रपद नक्षत्रों के स्वामी शनि हैं। गोचर में शनि एक राशि में लगभग ढाई साल तक रहता है।
शनि की शांति के कई उपाय हैं। जिनमें शनिवार के दिन काला तिल, साबुत काली उड़द,सरसों का तेल,काला वस्त्र,तवा,चप्पल-जूता आदि दान करना बेहद सरल है।
जानें शनिदेव को प्रसन्न करने के सटीक उपाय
- अपने भोजन में काली मिर्च और नमक शामिल करें। यह भगवान शनि को प्रसन्न करने के सरल उपायों में से एक है।
- नीचे दिए गए शनि मंत्र का जाप करें
- वैदिक मंत्र: “ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शं योरभि स्त्रवन्तु न:”
- शनि तांत्रिक मंत्र: “ॐ शं शनैश्चराय नमः/”
- शनि बीज मंत्र: “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”
- आप अपनी कुंडली में शनि को मजबूत करने के लिए धतूरे की जड़, बिच्छू मूल, उच्चतम गुणवत्ता का नीलम रत्न , या सात मुखी रुद्राक्ष (शत-मुखी रुद्राक्ष) धारण कर सकते हैं।
- भगवान शनि की कृपा पाने के लिए शनिवार के दिन काले रंग की गायों की सेवा करें और उन्हें गेहूं के आटे की गोलियां खिलाएं। इसके बाद उनके माथे पर लाल सिन्दूर का टीका लगाएं और शनिदेव का स्मरण करें।
- घर या ऑफिस में उचित अनुष्ठान के साथ शनि यंत्र को स्थापित करें और नियमित रूप से उसकी पूजा करें।
- आप शनिवार को शनि द्वारा शासित अनुराधा, पुष्य और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के दौरान, शनि होरा में उपरोक्त वस्तुओं को पहने या स्थापित कर सकते हैं।
- हर शनिवार के दिन पीपल के पेड़ को दूध या जल चढ़ाएं और उसकी पूजा करें।
- इसके अलावा शनि देव की प्रसन्नता हासिल करने के लिए आप ज़रुरतमंदों और गरीबों में दवाईयां या स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी चीज़ का दान कर सकते हैं। हालाँकि इस समय दान करने जाएँ तो सरकार द्वारा निर्धारित सोशल डिस्टेंसिंग ने नियम का पालन अवश्य करें। इससे आप भी सुरक्षित रहेंगे और सामने वाला इंसान भी।
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