क्या आप जानते हैं हर दिशा का क्या महत्व होता है?
हर दिशा कुछ कहती है, जी हाँ यह हम नहीं ऐसा वास्तु शास्त्र कहता है। इस आर्टिकल में जानते है कि, वास्तु के अनुसार हर दिशा का क्या कुछ महत्व होता है। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि वास्तु शास्त्र के हिसाब से पूर्व दिशा, पश्चिम दिशा, उत्तर दिशा और दक्षिण दिशा का क्या महत्व होता है तो आइए इन सभी बातों का जवाब विस्तार से जानते हैं।
दिशा महत्व
पूर्व दिशा - इस दशा को देव दिशा माना जाता है। ऐसे में वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा सकारात्मकता से भरी होती है। वास्तु शास्त्र कहता है ऐसे में यदि इस दिशा में मंदिर बनवाया जाए तो इससे व्यक्ति को शुभ परिणाम हासिल होते हैं। इसके अलावा यदि आप बच्चों का स्टडी रूम बनवा रहे हैं तो वह भी इसी दिशा में बनाए। इससे शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को शुभ परिणाम मिलता है।
पश्चिम दिशा` - यदि आप सुपरमार्केट, रासायनिक सामान आदि से संबंधित जगह का निर्माण कराने का विचार कर रहे हैं तो इसके लिए पश्चिम दिशा बेहद ही शुभ मानी जाती है। ऐसा करने से व्यापार में हानि नहीं होती है और लाभ मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
उत्तर दिशा - वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा कुबेर की दिशा मानी गई है। ऐसे में यदि इस स्थान पर कोई दुकान आदि का निर्माण कराया जाए तो व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है इसके अलावा जब आप की तिजोरी का निर्माण कराएं तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, उसका दरवाजा उत्तर दिशा की तरफ खुलना चाहिए। ऐसा करने से आपको कभी भी आर्थिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
दक्षिण दिशा - यदि आप आग बिजली या बड़ा कोई कारखाना शुरू करना चाहते हैं और उसके लिए भवन का निर्माण कर रहे हैं तो इसके लिए दक्षिण दिशा में अधिक शुभ मानी जाती है। घर की दक्षिण दिशा या दक्षिण दिशा में वैसे भी भारी सामान आदि रखा जाए तो इसे बेहद ही शुभ माना गया है।
दक्षिण-पूर्व - दक्षिण पूर्व दिशा के बारे में बात करें तो इस दिशा को आग्नेय दिशा कहा जाता है। ऐसे में यदि इस दिशा में रसोई घर बनाया जाए या फिर बच्चों का कमरा बनाया जाए तो इससे शुभ परिणाम हासिल होते हैं।
दक्षिण-पश्चिम - इसके बाद अगर हम बात करें दक्षिण पश्चिम दिशा दी तो इसे नैऋत्य दिशा कहा जाता है। इस दिशा को धन से संबंधित माना जाता है। ऐसे में घर का निर्माण कराते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि यदि इस दिशा में घर के मुखिया का कमरा बनाया जाए तो यह बेहद शुभ रहता है। इसके अलावा इस स्थान पर तिजोरी भी बनवाई जा सकती है।
उत्तर पश्चिम - उत्तर पश्चिम दिशा की बात करें तो यह दशा व्यक्ति के दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य और उत्तम शक्ति का प्रतीक मानी जाती है। यदि इस दशा में कुंवारी कन्याएं सोए तो इससे उनका विवाह का योग मजबूत होता है।
उत्तर-पूर्व - उत्तर पूर्व दिशा को ईशान दिशा भी कहते हैं और यह जल के दशा मानी जाती है। ऐसे में यदि आप अपने घर में स्विमिंग पूल या पूजा स्थल या फिर बोरिंग इस स्थान पर बनवाते हैं तो आपके लिए शुभ माना जाता है। इसके अलावा घर वास्तु के अनुसार यदि घर का मुख्य दरवाजा उत्तर पूर्व दिशा में हो तो ऐसे भी बेहद शुभ माना गया है।
वास्तु शास्त्र और दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार चार मुख्य दिशाएं यानी कि उत्तर दिशा, पूर्व दिशा, दक्षिण दिशा और पश्चिम दिशा के अलावा दिशाओं के मध्य स्थान को कोण कहते हैं। यानी कि, 4 कोण दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम कोण, उत्तर पश्चिम कोण, और उत्तर-पूर्व कोण। इसके अलावा वास्तु शास्त्र में दो आकाश और पाताल दिशाएं में कहीं जाती है ऐसे में कुल मिलाकर वास्तु शास्त्र में 10 दिशाएं होती हैं।
10 दिशाएं और इनका महत्व
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