Type Here to Get Search Results !

Shop Om Asttro

1 / 3
2 / 3

ad

विजया एकादशी व्रत 6 मार्च, 2024

6 मार्च, 2024

(बुधवार)

विजया एकादशी

विजया एकादशी व्रत मुहूर्त 

विजया एकादशी पारणा मुहूर्त :13:42:50 से 16:03:58 तक 7, मार्च कोअवधि :2 घंटे 21 मिनटहरि वासर समाप्त होने का समय :09:33:08 पर 7, मार्च को



 हिन्दू धर्म में एकादशी एक महत्वपूर्ण तिथि है, इसलिए विजया एकादशी का भी धार्मिक रूप से बड़ा महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि इस पावन तिथि को जो कोई भक्त पूर्ण विधि विधान के साथ व्रत का पालन करता है तो उस व्रती को उसके हर एक कार्य में सफलता प्राप्त होती है।

विजया एकादशी व्रत एवं पूजा विधि

●  एकादशी से एक दिन पूर्व एक वेदी बनाकर उस पर सप्त धान्य रखें
●  सोने, चांदी, तांबे अथवा मिट्टी का कलश उस पर स्थापित करें
●  एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें
●  पंचपल्लव कलश में रखकर भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें
●  धूप, दीप, चंदन, फल, फूल व तुलसी आदि से श्री हरि की पूजा करें
●  उपवास के साथ-साथ भगवन कथा का पाठ व श्रवण करें
●  रात्रि में श्री हरि के नाम का ही भजन कीर्तन करते हुए जगराता करें
●  द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन आदि करवाएं व कलश को दान कर दें
●  तत्पश्चात व्रत का पारण करें

व्रत से पूर्व सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस प्रकार विधि पूर्वक उपवास रखने से उपासक को कठिन से कठिन हालातों पर भी विजय प्राप्त होती है।

विजया एकादशी का महत्व

सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे प्राचीन माना जाता है। पद्म पुराण के अनुसार स्वयं महादेव ने नारद जी को उपदेश देते हुए कहा था कि, ’एकादशी महान पुण्य देने वाली होती है’। कहा जाता है कि जो मनुष्य विजया एकादशी का व्रत रखता है उसके पितृ और पूर्वज कुयोनि को त्याग स्वर्ग लोक जाते हैं। साथ ही व्रती को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती ही है और उसे पूर्व जन्म से लेकर इस जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है।

विजया एकादशी व्रत कथा

ऐसा कहा जाता है कि त्रेता युग में जब भगवान श्री राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुँचे, तब मर्यादा पुरुषोत्तम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की परन्तु समुद्र देव ने श्री राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया तब श्री राम ने वकदालभ्य मुनि की आज्ञा के अनुसार विजय एकादशी का व्रत विधि पूर्वक किया जिसके प्रभाव से समुद्र ने प्रभु राम को मार्ग प्रदान किया। इसके साथ ही विजया एकादशी का व्रत रावण पर विजय प्रदान कराने में सहायक सिद्ध हुआ और तभी से इस तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.