नीलम रत्न से होने वाले लाभ
- नीलम रत्न या ब्लू सेफायर को पलभर में परिणाम देने के लिए जाना जाता है। यह आपको उन्नति के शिखर तक लेकर जाता है और बहुतायत में समृद्धि, खुशहाली व अच्छा समय लेकर आता है।
- यदि नीलम और आप सही सिंक्रनाइज़ेशन में हैं, तो यह आपको सीधे चमत्कारी परिणामों के पथ की ओर ले जाता है, विशेष रूप से शनि के गोचर के दौरान। इस बीच आप अपनी सेहत, जीवन शक्ति और उत्साह में बढ़ावा दे सकते हैं।
- नीलम जीवन में अभिभावक के रूप में काम करता है क्योंकि यह आपको जादू टोना, भूत-प्रेत, विरोधियों आदि से बचाता है।
- नीलम रत्न आपकी कुशलता बढ़ाता है जिससे आप किसी भी कार्य को गम्भीरता से करने में सक्षम होते हैं। नीलम अपने प्रभाव से जटिल चीज़ों को भी सरल करता है और जीवन में शांति स्थापित करता है।
- पाचन क्रिया को सुधारता है और जीवन से आलस्य की भावना को दूर करता है जिसके चलते आपके रुके हुए कार्यों को गति मिलती है और वे पूर्ण होते हैं।
- नीलम के अंदर विशेष प्रकार के हीलिंग गुण भी मौजूद होते हैं जो मन-मस्तिष्क को शांत रखते हैं।
नीलम रत्न से होने वाले नुकसान
- यदि किसी कारण वश नीलम रत्न आपको सूट न करें तो आप आर्थिक मुसीबत में भी फंस सकते हैं।
- जीवन में होने वाली छोटी या बड़ी दुर्घटनाएं भी इस बात का संकेत है कि नीलम रत्न आपके अनुकूल नहीं है और आप इसे पहनना बंद कर दें।
- यदि नीलम आपके लिए ठीक नहीं है तो आपको अनिद्रा या तनाव की समस्या भी हो सकती है।
- इसके दुष्प्रभाव के कारण परिवार में क्लेश रहते हैं और किसी साजिश की संभावना भी होती है, यानि कुल मिलाकर नीलम का प्रभाव केवल आप पर ही नहीं बल्कि आपके परिवार पर भी होता है।
- करियर का ग्राफ नीचे चले जाने के कारण भी आपको कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
- नीलम को धारण करने से पहले किसी अनुभवी व कुशल ज्योतिषीय से सलाह ज़रूर लें क्योंकि इसके कई हानिकारक प्रभाव आप पर हो सकते हैं, यहां तक कि ये जीवन के लिए भी घातक हो सकता है। इसलिए बिना विचार-विमर्श के इसे बिल्कुल भी धारण न करें।
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कितने रत्ती यानि वज़न का नीलम रत्न धारण करना चाहिए?
जब भी आप कोई रत्न ख़रीदने जाए जैसे कि नीलम, तो सब कुछ सही होना चाहिए, तभी वो ठीक प्रकार से कार्य करेगा। वैदिक खगोलशास्त्र के अनुसार नीलम काफी हद तक शनि के साथ जुड़ा होता है और शनि न्याय करने वालों को शुभ फल और अन्याय करने वालों को दण्ड देते हैं।
यदि आप नीलम धारण करना चाहते हैं तो 2 कैरेट का रत्न ज़रूर धारण करें। नीलम के शुभ प्रभाव को पाने के लिए कम से कम इतने रत्ती का रत्न तो धारण करना ही होगा। अगर आप इससे कम कैरेट का नीलम पहनेंगे तो इच्छुक फल की प्राप्ति सम्भवतः मुश्किल है। नीलम को शनिवार के दिन गाय के दूध, शहद व गंगाजल के मिश्रण में 15-20 मिनट तक डाल कर रखें। इसके बाद पांच अगरबत्ती जलाएं और ॐ शम शनिचराय नमः मंत्र का 11 बार जाप करें। इसके बाद दाएं हाथ की बीच की उंगली में इसे धारण कर लें।
ज्योतिषीय विश्लेषण- विभिन्न राशियों पर नीलम रत्न का प्रभाव
नीलम रत्न को बेहद सावधानी व हिदायत के साथ पहनना चाहिए। नीलम की कीमत उसकी गुणवत्ता और स्पष्टता के मामले में भिन्न होती है, लेकिन इसे धारण करने से पहले किसी एक्सपर्ट ज्योतिष का परामर्श लेना बेहद ज़रूरी है।
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मेष
मेष राशि का स्वामी मंगल होता है और शनि के साथ इसका शत्रुता का भाव होता है, ऐसे में इस राशि के जातकों को नीलम पहनने की सलाह नहीं दी जाती है। क्योंकि ये आपको पूरी तरह से ध्वस्त कर देगा और आगे बढ़ने के लिए कोई नया अवसर नहीं प्राप्त होने देगा। हालांकि इस राशि के जातकों को यूं तो नीलम न पहनने की सलाह दी जाती है, बावजूद इसके जिन जातकों की कुंडली में शनि द्वितीय, पंचम, नवम व एकादश भाव में स्थित है वो चाहें इसे धारण करके अपना भाग्य आज़मा सकते हैं।
वृषभ
आपको नीलम धारण करने से पहले ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि आपके स्वामी यानि शुक्र का शनि के साथ मित्रता का भाव है। नीलम का प्रभाव इस कदर होता है कि वो आपको पूरी ज़िंदगी का सर्वश्रेष्ठ समय दे सकता है क्योंकि नीलम शनि का रत्न होता है और शनि आपके लिए एक योगकारक ग्रह है।
मिथुन
यूं तो बुध व शनि आपस में मित्रता का भाव रखते हैं, बावजूद इसके भी आपको नीलम धारण करने से पहले ज्योतिष की राय लेना बेहद ज़रूरी है। वैसे जिस दौरान शनि का गोचर आपकी राशि में हो, उसी समय आपको नीलम पहनने की राय दी जाती है।
कर्क
जिस प्रकार मंगल शनि के साथ शत्रुता का भाव रखता है, उसी प्रकार शनि कर्क राशि के स्वामी चंद्र के साथ भी इसी प्रकार का संबंध रखता है। शनि का सप्तम व अष्टम भाव में स्थित होना अशुभ माना जाता है।
सिंह
सिंह राशि का स्वामी सूर्य शनि के साथ शत्रुता का भाव रखता है। इसी कारण सिंह राशि के जातक इस ख़ूबसूरत रत्न को धारण नहीं करते हैं।
कन्या
कन्या राशि का स्वामी बुध शनि के साथ तटस्थ रहता है। ऐसे में ये रत्न धारण कर लेने से न तो फायदा होता है और ना ही कोई नुकसान। वैसे अगर आप चाहें तो शनि की अवधि सुधारने या अपनी स्थिति को मज़बूत बनाने के लिए इसे धारण कर सकते हैं।
तुला
तुला राशि का स्वामी यानि शुक्र का शनि के साथ सौहार्दपूर्ण भाव रहता है, ऐसे में इस राशि के जातकों को ज़्यादा से ज़्यादा फायदा उठाने के लिए इस रत्न को अवश्य धारण करना चाहिए।
वृश्चिक
शनि और मंगल के बीच शत्रुता का भाव होता है तो ऐसे में ये कहना बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं होगा कि यह रत्न आपके लिए ठीक नहीं है। बस इसे वो कुछ लोग धारण कर सकते हैं जिनका शनि पंचम, नवम व दशम भाव में स्थित है।
धनु
धनुका स्वामी बृहस्पति यानि गुरु ग्रह व शनि आपस में सम भाव रखते हैं इसलिए ये कहना व्यर्थ है कि इस राशि के लोग नीलम रत्न को बिल्कुल भी धारण न करें अन्यथा परिणाम बहुत भयावह होगा।
मकर
इस राशि के स्वामी शनि स्वंय हैं, ऐसे में नीला नीलम मकर राशि के जातकों के जीवन को पूरी तरह से खुशहाली से भर देता है और शुभता व लाभ की बौछार करता है। यह आपकी विद्रोहियों से भी रक्षा करता है।
कुंभ
नीलम रत्न उन लोगों के भाग्य में काफी बदलाव लाता है जो इस राशि के होते हैं और इस रत्न को धारण करते हैं। कारण यह है कि शनि आपके लिए वही करता है जो सबसे उत्तम होगा।
मीन
मीन राशि के स्वामी गुरु और शनि आपस में सम हैं। इसका अर्थ यह है कि इस राशि के लोगों को यह रत्न नहीं पहनना चाहिए वरना इससे जीवन को खतरा हो सकता है।
नीलम को शनि प्रिय यानि शनि देव की पसंद माना जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि ये शनि देव के मुकुट के बीचों-बीच स्थापित है। ग्रीस व रोम की पुरानी सभ्यता से लेकर राजकुमारी डायना के ज़माने तक हर किसी का पसंदीदा नगीना नीलम पहा है। हीरे के बाद सबसे कठोर माने जाने वाले इस रत्न को कोई भी आकार दिया जा सकता है। शनि मकर राशि का शासक है जिसकी अपनी सीमाएं व नियम हैं। यद्यपि शनि अभद्रता से संबंधित है, यह हमारे जीवन में संगठन और संरचना लाता है। शनि को शांत करने के लिए और अपने ऊपर किसी भी हानिकारक प्रभाव को रोकने के लिए, लोग इस नीले रंग के रत्न यानि नीलम को पहनते हैं। परिणाम देने के मामले में नीलम सबसे तेज रत्न कहा जाता है। यह समृद्धता, सद्भाव, और शनि के सभी दुष्प्रभावों को खत्म करता है।
नीलम रत्न की तकनीकी संरचना
वैज्ञानिक संरचना के अनुसार नीलम रत्न एल्युमीनियम ऑक्साइड (Al2 O3) है। एल्युमीनियम ऑक्साइड में आयरन,टाइटेनियम, क्रोमियम,कॉपर और मैग्नीशियम जैसे तत्व मिले होते हैं। नीलम रत्न की गुरुत्वाकर्षण सीमा 3.99 से 4.00 तक होती है और अपवर्तक सूची में इसकी सीमा 1.760-1.768 से 1.770-1.779 तक रहती है। नीलम रत्न कुरुन्दम ग्रुप से संबंधित होता है इस वजह से मोह्स स्कैल पर इसकी कठोरता 9 होती है। यह हीरे के बाद सबसे कठोर खनिज माना जाता है। इस रत्न की सुंदरता और शुद्धता इसकी पारदर्शिता और उसके शानदार नीले रंग से निकलने वाले विभिन्न शेड्स में हैं। शनि ग्रह से बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए नीलम को शनिवार शाम को ही पहनें।
नीलम रत्न पहनने की विधि
नीलम धारण करने से पहले सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए-
- बिना ज्योतिष परामर्श के इसे बिल्कुल भी धारण न करें और इस बात की पुष्टि कर लें कि यह रत्न आपके लिए शुभ है या नहीं।
- यदि ज्योतिष ने इसे धारण करने के लिए हां कर दी है तो केवल प्रमाणित ही रत्न ख़रीदे क्योंकि गलत रत्न अशुभ प्रभाव दे सकता है।
- नीलम ख़रीदने के बाद ज़रूरी है कि ये किस धातु में इसे बनवाया जाए। नीलम को आप सोना, चांदी या फिर अष्टधातु में भी पहन सकते हैं।
- रत्न का प्रभाव उसके वजन पर भी निर्भर करता है। नीलम जितने ज़्यादा कैरेट का होगा, उतना ही प्रभावशाली होगा। वैसे आप 3 कैरेट से लेकर 6 कैरेट का नीलम धारण कर सकते हैं।
- शनिवार की शाम नीलम पहनने के लिए सबसे उत्तम समय है।
- इसे गंगा जल व दूध में डुबोकर ही पहनें ताकि उसकी सभी अशुद्धियां धुल जाएं।
- अंगूठी के साफ हो जाने के बाद उसे एक ऐसे काले कपड़े पर रखें जिस पर कुमकुम से शनि यंत्र बनाया गया हो।
- अब अंगूठी को दाएं या बाएं हाथ (लिंग के अनुसार) की मध्य उंगली में पहन सकते हैं। पुरुष इसे दाएं तो वहीं महिलाएं इसे बाएं हाथ में धारण कर सकती हैं। नीलम का प्रभाव लगभग साढ़े 4 साल से लेकर 5 साल तक कम होने लग जाता है, ऐसे में इसको बदलने का सुझाव दिया जाता है।
- अंगूठी की साफ-सफाई का रोजाना ख़्याल रखें और उस पर लगी धूल व मिट्टी ज़रूर साफ करें।