अथ दशविधि स्नान
पवित्र स्थान पर सूर्य के सम्मुख बैठकर दस प्रकार के स्नान करें | सर्वप्रथम बाये हाथ में भस्म लेकर दाहिने हाथ से जल डालकर मिश्रित करे और दाहिने हाथ से ढककर निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके सूर्य की ओर हस्तदर्शन कराकर कमर से ऊपर दाहिना और निचे बाया से मालिश करें | सभी स्नान इसी प्रकार करें |
- भस्म-स्नानम् - ॐ नमस्ते रुद्रमन्न्यवऽउतोतऽइषवे नमः | बाहुब्भ्यामुतते नमः ||
- मृत्तिका-स्नानम् - ॐ इदं विष्णुर्विचक्रमे त्रेधा निदधे पदम् | समूढमस्य पा गुं सुरे स्वाहा ||
- गोमय-स्नानम् - ॐ मानस्तो केतनयेमानऽ आयुषि मानो गोषुमानोऽ अश्वेषुरीरिषः | मानो वीरान्नुद्रभामिनो वधीर्हविष्मंतः सदमित्त्वा हवामहे ||
- पञ्चगव्य-स्नानम् - ॐ सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् | स भूमि गुं सर्वतस्पृत्वाऽत्यतिष्ठद् दशाङ्गगुलम् ||
- गोराजः-स्नानम् - ॐ आयंगौः पृश्निरक्रमी दस दन्मातरम्पुरः | पितरञ्च प्रयन्त्स्वः ||
- धान्य-स्नानम् - ॐ धन्न्यमसि धिनुहि देवान्प्राणायत्त्वा व्यानायत्त्वा | दीग्र्घा मनुण्प्रसिति मायुषे धान्देवोवः सविता हिरण्यपाणिः ण्प्रतिगृभ्ब्णात्त्वच्छिद्रेण पाणिना चक्क्षुषेत्त्वा महीनां पयोऽसि ||
- फल-स्नानम् - ॐ याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः | बृहस्पति प्रसूतास्ता नो मुचन्त्व गुं हसः ||
- सर्वौषधी-स्नानम् - ॐ ओषधयः समवदंत सोमेन सह राज्ञा | यस्मै कृणोति ब्राह्मण गुं राजन्पारयामसि ||
- कुशोदक-स्नानम् - ॐ देवस्यत्त्वा सवितुः प्रसवेश्विनोर्बाहुब्भ्याम्पूष्ण्णो हस्ताब्भ्याम् ||
- हिरण्य-स्नानम् - ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मत्र्यंच | हिरण्ण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ||
फिर शुद्ध जल से स्नान शुरू करें |
|| इति दशविधि स्नान ||