।। वार ।।
भारतीय पंचांग प्रणाली में एक प्राकृतिक सौर दिन को दिवस कहा जाता है। सप्ताह में सात दिन होते हैं और उनको वार कहा जाता है। दिनों के नाम सूर्य , चन्द्र , और पांच प्रमुख ग्रहों पर आधारित हैं , जैसे नाम यूरोप में भी प्रचलित हैं।
अब पंचांग के दूसरे 2 अंग जिसे वार दिन कहा जाता हैं उसके बारे में जानेंगे।
एक सप्ताह में सात दिन होते हैं:-सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार।
ध्यान दे - वैदिक ज्योतिष के अनुसार वार सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक माना जाता है।
तारीख रात्रि 12 बजे बदल जाती है परंतु वैदिक ज्योतिष में वार अगले दिन सूर्योदय पर ही बदला हुआ माना जाता है।
वार 7 होते है
1. रविवार / सूर्यवार
यह सूर्य देवता को समर्पित है ।
2. सोमवार / चंद्रवार
यह भगवान शिव और चंद्र देव को समर्पित है ।
3. मंगलवार / भौमवार
यह हनुमान जी और मंगल देवता को समर्पित है ।
4. बुधवार
यह गणेश जी और बुध ग्रह को समर्पित है ।
5. गुरुवार / बृहस्पतिवार
यह भगवान विष्णु और गुरु ग्रह को समर्पित है।
6. शुक्रवार / भार्गव वार
यह माता लक्ष्मी और शुक्र ग्रह को समर्पित है ।
7. शनिवार / मंदवार
यह शनि देव , पितृदेव , और तंत्र मंत्र, टोने टोटके, नजर का यह वार है ।
यह वार से कार्य के अनुसार देवताओं और ग्रहों का संबंध है ।
वार को हम 2 तरह से समझते है , वार 2 प्रकार के होते है ।
1. सौम्य वार , 2. उग्र वार
1. सौम्य वार - सोमवार , बुधवार , गुरुवार , शुक्रवार
2. उग्र वार - मंगलवार , शनिवार , रविवार
सौम्य = शांत , अच्छा कोमल स्वभाव वाला
उग्र = थोड़ा क्रोधित , तेज गुस्से स्वभाव वाला
वार के साथ में होती है होरा
जिस दिन जिस ग्रह का वार होता है उस दिन उस ग्रह की पहली होरा होती है।
होरा प्रत्येक 1-1 घंटे में बदलती है।
1 दिन और रात के 24 होराए होती है।
जैसे आज सोमवार है , तो जिस समय सूर्य उदय होगा उस समय की होरा चंद्रमा की 1 घंटे के लिए होगी।
मंगलवार को मंगल की होरा होगी। यानी की उस दिन का सूर्य मंगल की होरा का बताया जायेगा।
होरा का कार्य हम तब बताते है जब कोई कार्य करने जा रहे हो और उस समय उस दिन उस ग्रह की होरा होती है तो वह कार्य , या उपाय , पूजा जल्दी सिद्ध होते है।
यहा पर वार का कार्य समापन होता है।
काल गणना - घटि, पल, विपल
हिन्दू समय गणना में समय की अलग अलग माप इस प्रकार हैं। एक सूर्यादय से दूसरे सूर्योदय तक का समय दिवस है , एक दिवस में एक दिन और एक रात होते हैं। दिवस से आरम्भ करके समय को साठ साठ के भागों में विभाजित करके उनके नाम रखे गए हैं ।
१ दिवस = ६० घटी (६० घटि २४ घंटे के बराबर है या १ घटी = २४ मिनट , घटि को देशज भाषा में घडी भी कहा जाता है )
१ घटी = ६० पल (६० पल २४ मिनट के बराबर है या १ पल = २४ सेकेण्ड)
१ पल = ६० विपल (६० विपल २४ सेकेण्ड के बराबर है , १ विपल = ०.४ सेकेण्ड)
१ विपल = ६० प्रतिविपल
इसके अतिरिक्त
१ पल = ६ प्राण ( १ प्राण = ४ सेकेण्ड )
इस प्रकार एक दिवस में ३६०० पल होते हैं। एक दिवस में जब पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है तो उसके कारण सूर्य विपरीत दिशा में घूमता प्रतीत होता है। ३६०० पलों में सूर्य एक चक्कर पूरा करता है , इस प्रकार ३६०० पलों में ३६० अंश। १० पल में सूर्य का जितना कोण बदलता है उसे १ अंश कहते है।
वार फलित
- रविवार में जन्म लेने वाला पित्त प्रकृति, परम चतुर, तेजस्वी, युद्धप्रिय, दानी और महा उत्साही होता है।
- सोमवार में जन्म हो तो बुद्धिमान, प्रियवक्ता, शांत, राजा का आश्रित, सुख-दुःख को समान मानने वाला और धनी होता है।
- मंगलवार में जन्म हो तो मनुष्य कुटिल बुद्धि, पृथ्वी से जीविका करने वाला, युद्ध प्रिय, महाबली, सेनापति या जनपालक होता है।
- बुधवार में जन्म होने से लेख से आजीविका करने वाला, प्रियवक्ता, पण्डित, बुद्धिमान, सौन्दर्य और संपत्ति से युक्त होता है।
- गुरुवार में जन्म होने से धनवान, विवेकी, लोक में मान्य, अध्यापक या राजमंत्री होता है।
- शुक्रवार में जन्म होने से चंचल चित्त, देवो का निन्दक, धनोपार्जन और क्रीडा में अनुरक्त, बुद्धिमान, सुन्दर और वक्ता होता है।
- स्थिर (शनिवार) में जन्म हो तो स्थिर वचन वाला, क्रूर, दुष्ट स्वभाव, पराक्रमी, नीचदृष्टि, विकृत नखवाला, अधिक केशवाल और वृद्धा स्त्री में प्रेम रखने वाला होता है।