घटस्थापना/कलश स्थापना शरद नवरात्रि 2025 की तिथियाँ

Om Asttro
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2025 में घटस्थापना कब है?
22 सितंबर, 2025
(सोमवार)
घटस्थापना

घटस्थापना मुहूर्त :06:09:07 से 08:06:02 तक
अवधि :1 घंटे 56 मिनट




आइए जानते हैं कि 2025 में घटस्थापना/कलश स्थापना कब है व घटस्थापना/कलश स्थापना 2025 की तारीख व मुहूर्त। नवरात्र में घटस्थापना अथवा कलश स्थापना का विशेष महत्व है। सामान्य रूप से इसे नवरात्रि का पहला दिन माना जाता है। घटस्थापना के दिन से नवरात्रि का प्रारंभ माना जाता है। नवरात्रों (चैत्र व शारदीय) में प्रतिपदा अथवा प्रथमा तिथि को शुभ मुहुर्त में घट स्थापना पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार कलश को भगवान गणेश की संज्ञा दी गई है और किसी पूजा के लिए सर्वप्रथम गणेश जी की वंदना की जाती है।

घटस्थापना के नियम

●  दिन के एक तिहाई हिस्से से पहले घटस्थापना की प्रक्रिया संपन्न कर लेनी चाहिए
●  इसके अलावा कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त को सबसे उत्तम माना गया है
●  घटस्थापना के लिए शुभ नक्षत्र इस प्रकार हैं: पुष्या, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़, उत्तराभाद्रपद, हस्ता, रेवती, रोहिणी, अश्विनी, मूल, श्रवण, धनिष्ठा और पुनर्वसु

घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री

●  सप्त धान्य (7 तरह के अनाज)
●  मिट्टी का एक बर्तन जिसका मुँह चौड़ा हो
●  पवित्र स्थान से लायी गयी मिट्टी
●  कलश, गंगाजल (उपलब्ध न हो तो सादा जल)
●  पत्ते (आम या अशोक के)
●  सुपारी
●  जटा वाला नारियल
●  अक्षत (साबुत चावल)
●  लाल वस्त्र
●  पुष्प (फ़ूल)

घटस्थापना विधि

●  सर्वप्रथम मिट्टी के बर्तन में रख कर सप्त धान्य को उसमे रखें
●  अब एक कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बाँधकर उसे उस मिट्टी के पात्र पर रखें
●  अब कलश के ऊपर अशोक अथवा आम के पत्ते रखें
●  अब नारियल में कलावा लपेट लें
●  इसके उपरान्त नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लव के बीच में रखें
●  घटस्थापना पूर्ण होने के बाद देवी का आह्वान किया जाता है

पूजा संकल्प मंत्र

नवरात्र में 9 दिनों तक व्रत रखने वाले देवी माँ के भक्तों को निम्नलिखित मंत्र के साथ पूजा का संकल्प करना चाहिए:

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे
आश्विनशुक्लप्रतिपदे अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि एतासु नवतिथिषु
अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः
अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।

नोट: ध्यान रखें, मंत्र का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए। इस मंत्र में कई जगह अमुक शब्द आया है। जैसे- अमुकनामसम्वत्सरे, यहाँ पर आप अमुक की जगह संवत्सर का नाम उच्चारित करेंगे। यदि संवत्सर का नाम सौम्य है तो इसका उच्चारण सौम्यनामसम्वत्सरे होगा। ठीक ऐसे ही अमुकवासरे में उस दिन का नाम, अमुकगोत्रः में अपने गोत्र का नाम और अमुकनामाहं में अपना नाम उच्चारित करें।

यदि नवरात्र के पहले, दूसरे, तीसरे आदि दिनों के लिए उपवास रखा जाए, तब ऐसी स्थिति में ‘एतासु नवतिथिषु’ की जगह उस तिथि के नाम के साथ संकल्प किया जाएगा जिस तिथि को उपवास रखा जा रहा है। जैसे - यदि सातवें दिन का संकल्प करना है, तो मंत्र इस प्रकार होगा:

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे,
अमुकनामसम्वत्सरे आश्विनशुक्लप्रतिपदे अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि सप्तम्यां तिथौ
अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन्
अमुकगोत्रः अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।

ऐसे ही अष्टमी तिथि के लिए सप्तम्यां की जगह अष्टम्यां का उच्चारण होगा।

षोडशोपचार पूजा के लिए संकल्प

यदि नवरात्रि के दौरान षोडशोपचार पूजा करना हो तो नीचे दिए गए मंत्र से प्रतिदिन पूजा का संकल्प करें:

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे
आश्विनशुक्लप्रतिपदे अमुकवासरे नवरात्रपर्वणि अखिलपापक्षयपूर्वकश्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये अमुकगोत्रः
अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः षोडशोपचार-पूजनं विधास्ये।



शरद नवरात्रि 2025

शरद नवरात्रि की तिथियाँ 

नवरात्रि दिन 1

प्रतिपदा

माँ शैलपुत्री पूजा

घटस्थापना

22

सितंबर 2025

(सोमवार)


नवरात्रि दिन 2

द्वितीया

माँ ब्रह्मचारिणी पूजा

23

सितंबर 2025

(मंगलवार)


नवरात्रि दिन 3

तृतीया

माँ चंद्रघंटा पूजा

24

सितंबर 2025

(बुधवार)


नवरात्रि दिन 4

तृतीया

माँ चंद्रघंटा पूजा

25

सितंबर 2025

(गुरुवार)


नवरात्रि दिन 5

चतुर्थी

माँ कुष्मांडा पूजा

26

सितंबर 2025

(शुक्रवार)


नवरात्रि दिन 6

पंचमी

माँ स्कंदमाता पूजा

27

सितंबर 2025

(शनिवार)


नवरात्रि दिन 7

षष्ठी

माँ कात्यायनी पूजा

28

सितंबर 2025

(रविवार)


नवरात्रि दिन 8

सप्तमी

माँ कालरात्रि पूजा

29

सितंबर 2025

(सोमवार)


नवरात्रि दिन 9

अष्टमी

माँ महागौरी

दुर्गा महा अष्टमी पूजा

30

सितंबर 2025

(मंगलवार)


नवरात्रि दिन 10

नवमी

माँ सिद्धिदात्री

दुर्गा महा नवमी पूजा

1

अक्टूबर 2025

(बुधवार)


नवरात्रि दिन 11

दशमी

नवरात्रि पारणा

दुर्गा विसर्जन

विजय दशमी

2

अक्टूबर 2025

(गुरुवार)

नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति मां दुर्गा की उपासना का उत्सव है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी शक्ति के नौ अलग-अलग रूप की पूजा-आराधना की जाती है। एक वर्ष में पांच बार नवरात्र आते हैं, चैत्र, आषाढ़, अश्विन, पौष और माघ नवरात्र। इनमें चैत्र और अश्विन यानि शारदीय नवरात्रि को ही मुख्य माना गया है। इसके अलावा आषाढ़, पौष और माघ गुप्त नवरात्रि होती है। शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनायी जाती है। शरद ऋतु में आगमन के कारण ही इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।

सांस्कृतिक परंपरा

नवरात्रि में देवी शक्ति माँ दुर्गा के भक्त उनके नौ रूपों की बड़े विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्र के समय घरों में कलश स्थापित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू किया जाता है। नवरात्रि के दौरान देशभर में कई शक्ति पीठों पर मेले लगते हैं। इसके अलावा मंदिरों में जागरण और मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की झांकियां बनाई जाती हैं।

पौराणिक मान्यता

शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में ही भगवान श्रीराम ने देवी शक्ति की आराधना कर दुष्ट राक्षस रावण का वध किया था और समाज को यह संदेश दिया था कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है।

नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विधान

●  दिन 1 - माँ शैलपुत्री पूजा - यह देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप है। मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं।
●  दिन 2 - माँ ब्रह्मचारिणी पूजा - ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
●  दिन 3 - माँ चंद्रघंटा पूजा - देवी चंद्रघण्टा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
●  दिन 4 - माँ कूष्मांडा पूजा - माँ कूष्माण्डा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।
●  दिन 5 - माँ स्कंदमाता पूजा - देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
●  दिन 6 - माँ कात्यायनी पूजा - देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
●  दिन 7 - माँ कालरात्रि पूजा - देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
●  दिन 8 - माँ महागौरी पूजा - देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
●  दिन 9 - माँ सिद्धिदात्री पूजा - देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।

नवरात्रि में नौ रंगों का महत्व

नवरात्रि के समय हर दिन का एक रंग तय होता है। मान्यता है कि इन रंगों का उपयोग करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

  प्रतिपदा- पीला
  द्वितीया- हरा
  तृतीया- भूरा
  चतुर्थी- नारंगी
  पंचमी- सफेद
  षष्टी- लाल
  सप्तमी- नीला
  अष्टमी- गुलाबी
  नवमी- बैंगनी

Om Asttro  की ओर से सभी पाठकों को शरद नवरात्रि की शुभकामनाएं। हम आशा करते हैं कि देवी दुर्गा की कृपा आप पर सदैव बनी रहे और आपके जीवन में खुशहाली आये।

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