गुरु कर्क राशि में वक्री, इन 4 राशियों की रुक सकती है तरक्की; करनी पड़ेगी मेहनत!

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गुरु कर्क राशि में वक्री: Omasttro
 हमेशा से अपने पाठकों को ज्योतिष की दुनिया में होने वाली घटनाओं और परिवर्तनों की जानकारी सबसे पहले देता आया है, जिससे आप ग्रहों की चाल, दशा और स्थिति में होने वाले हर परिवर्तन से अवगत रह सकें। इसी क्रम में, अब ज्ञान के कारक कहे जाने वाले गुरु देव 11 नवंबर 2025 की शाम 06 बजकर 31 मिनट  कर्क राशि में वक्री होने जा रहे हैं जिसका प्रभाव सभी राशियों के साथ-साथ संसार और शेयर बाजार पर भी दिखाई देगा। बता दें कि गुरु महाराज अपनी उच्च राशि कर्क में वक्री होंगे।  

वैदिक ज्योतिष में गुरु ग्रह को भाग्य, प्रगति और ज्ञान के कारक माना जाता है, अक्सर इन्हें लाभकारी ग्रह के नाम से जाना जाता है। यह किसी व्यक्ति के जीवन में प्रगति, समृद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद लेकर आते हैं। गुरु ग्रह आपके भीतर विश्वास जगाते हैं कि आपके जीवन में जो भी होगा, वह अच्छा होगा।

साथ ही, यह व्यक्ति को निजी और आध्यात्मिक जीवन में प्रगति पाने में सहायता करते हैं। गुरु ग्रह मनुष्य जीवन में फिलॉसफी, यात्रा, शिक्षा और सिद्धांतों को नियंत्रित करते हैं और उन सब चीज़ों के कारक हैं जो आपकी सोच के दायरे को बढ़ाने का काम करती हैं। 

जब गुरु देव कुंडली में शुभ स्थिति में मौजूद होते हैं, तो वह जातक के जीवन को अवसरों,  धन-समृद्धि और ख़ुशियों से भर देते हैं। इसके विपरीत, गुरु ग्रह के नकारात्मक अवस्था में होने पर व्यक्ति अति आत्मविश्वासी और हद से ज्यादा आशावादी हो सकता है। कुल मिलाकर, बृहस्पति देव जीवन में सीखने, दया और विश्वास के माध्यम से हमें दुनिया की सच्चाई से जोड़ते हैं। 

गुरु कर्क राशि में वक्री: विशेषताएं 

जब गुरु ग्रह कर्क राशि में वक्री होते हैं, तो इनकी सकारात्मक ऊर्जा में भी कमी आती है जिससे दूसरों की समझने की क्षमता गहरी और मज़बूत होती है। बता दें कि कर्क को संवेदनशीलता और भावनात्मक सुरक्षा की राशि मानी जाती है और इस राशि में गुरु ग्रह की मौजूदगी परिवार, दया और भावनात्मक जुड़ाव के माध्यम से प्रगति लेकर आती है। लेकिन, इस राशि में गुरु ग्रह के वक्री होने से यह गुण अत्यधिक गहराई से दिखाई देंगे। कुंडली में गुरु ग्रह की इस स्थिति की वजह से जातक संसार के बजाय अपने आपको जानने-समझने के द्वारा सबक सीखेंगे। साथ ही, यह पारिवारिक जीवन और भावनात्मक रूप से संतुलित होकर आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त करेंगे।

ऐसे जातकों के व्यक्तित्व में दया, दूसरों की भावनाओं को समझना और दूसरों की सहायता या उनका मार्गदर्शन करना एक विशेष गुण होता है। हालांकि, इन्हें अपने दयालु स्वभाव को दूसरों के सामने प्रकट करने में समस्या का अनुभव होता है या फिर दूसरों की भलाई को लेकर हद से ज्यादा परेशान नज़र आ सकते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो, गुरु कर्क राशि में वक्री होकर व्यक्ति को भावनात्मक रूप से परिपक्व, अपने आप से जुड़ाव और अपने प्यार को दूसरों की देखभाल के द्वारा समझाने का प्रयास करेगा। 

गुरु कर्क राशि में वक्री: इन राशियों को रहना होगा सावधान

मेष राशि 

मेष राशि वालों के लिए गुरु महाराज आपके चौथे भाव में वक्री होने जा रहे हैं और यह आपकी कुंडली में नौवें और बारहवें भाव के स्वामी भी हैं। ऐसे में, गुरु देव के कर्क राशि में वक्री होने से आपको अपने कार्यों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, आपके काम अधूरे रह सकते हैं और इस दौरान आप पर काम का बोझ बढ़ सकता है क्योंकि आपका वर्क शेड्यूल काफ़ी व्यस्त रह सकता है।

गुरु कर्क राशि में वक्री के दौरान आपको लाभ और हानि दोनों तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। यह जातक जीवन में भारी प्रतिस्पर्धा से जूझते हुए दिखाई दे सकते है। जब बात आती है आर्थिक जीवन की, तो आपको हानि होने के योग बनेंगे जो आपको ट्रेवल के माध्यम से हो सकती है। कार्यों की रफ़्तार सुस्त होने की वजह से आपको नुकसान झेलना पड़ सकता है। 

वृषभ राशि 

वृषभ राशि वालों की कुंडली में गुरु ग्रह आपके नौवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके तीसरे भाव में वक्री होने जा रहे हैं। इसके फलस्वरूप, आपको कार्यों के माध्यम से लाभ मिलने में देरी हो सकती है। इस अवधि में इन जातकों को सावधानी से बात करने की सलाह दी जाती है। वहीं, करियर के क्षेत्र में गुरु कर्क राशि में वक्री होने से आप नौकरी बदलने के लिए मजबूर हो सकते हैं और ऐसा करना आपके लिए ठीक नहीं कहा जा सकता है। 

बात करें व्यापार की, तो गुरु वक्री के दौरान आपको ज्यादा लाभ न मिलने की संभावना है जिसकी वजह आपके द्वारा किया गया गलत चयन हो सकता है। आर्थिक जीवन को देखें तो, आपको मिलने वाला रिटर्न ज्यादा नहीं होगा जिसके चलते आप निराश और असंतुष्ट रह सकते हैं। 

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए गुरु महाराज आपके दूसरे भाव में वक्री होने जा रहे हैं। बता दें कि आपकी कुंडली में बृहस्पति देव आपके सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं।, इस प्रकार इस अवधि में आप अपने दोस्तों को खो सकते हैं जो आपके लिए चिंता का विषय बन सकता है। 

करियर को देखें, तो गुरु कर्क राशि में वक्री की अवधि आपकी मुश्किलों को बढ़ा सकती है क्योंकि इस दौरान आपको कार्यक्षेत्र में अपने वरिष्ठों के साथ समस्याओं का सामना पड़ सकता है। ऐसे में, आप पर काम का बोझ बढ़ सकता है। व्यापार के क्षेत्र में आपको अत्यधिक प्रतिस्पर्धा होने के कारण लाभ कमाने के लिए अपनी योजनाओं में बदलाव करना होगा। साथ ही, आपको आर्थिक जीवन में भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं इसलिए आपको आगे की योजना बनाकर चलना होगा।

कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए गुरु देव आपके लग्न/पहले भाव में वक्री होने जा रहे हैं। कुंडली में गुरु ग्रह आपके छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं और ऐसे में, आपको मिलने वाला लाभ आपके हाथों से निकल सकता है। साथ ही, आपको न चाहते हुए भी अपना पैसा ख़र्च करना पड़ सकता है। इसके विपरीत, करियर के क्षेत्र में आपको कार्यों में औसत परिणामों की प्राप्ति होगी। 

संभव है कि गुरु कर्क राशि में वक्री के दौरान आप स्वयं को मिलने वाले कार्यों को अच्छे से करने में सक्षम नहीं होंगे। यह अवधि करियर में तरक्की पाने के लिए आपको अपनी योजनाओं में बदलाव करने के लिए कह रही है जिससे आप प्रोडक्टिविटी के साथ-साथ धन लाभ प्राप्त कर सकें। आर्थिक जीवन में आप अच्छा ख़ासा लाभ कमाने में सक्षम होंगे, लेकिन इस दौरान आपको प्रयासों पर कार्यों के परिणाम  निर्भर होंगे।   

सिंह राशि 

सिंह राशि वालों के लिए गुरु ग्रह आपके बारहवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं। इन्हें आपकी कुंडली में पांचवें और आठवें भाव का स्वामित्व प्राप्त है। इसके फलस्वरूप, इन जातकों का झुकाव अध्यात्म के प्रति बढ़ सकता है जिसका लाभ आपको कई तरह से मिल सकता है। साथ ही, इस अवधि में आपको कई बार यात्रा करनी पड़ सकती है। 

नौकरीपेशा जातकों की बात करें, तो यह जातक काम के सिलसिले में बार-बार यात्रा करते हुए दिखाई दे सकते हैं जिससे आपको आराम करने का समय न मिलने की आशंका है। साथ ही, इस समय कार्यक्षेत्र में खुद को लेकर आपका आत्मविश्वास कम रह सकता है। इसके अलावा, आप बेकार की शर्तें लगाकर अपना पैसा बर्बाद कर सकते हैं और आपके लिए प्रतिद्वंद्वियों का दबाव झेलना मुश्किल हो सकता है। वहीं दूसरी तरफ, आप शेयर या सट्टेबाजी के माध्यम से पैसे कमा सकते हैं। हालांकि, सिंह राशि के जातक किसी बड़ी मुसीबत में भी फंस सकते हैं इसलिए सावधान रहें।

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए गुरु महाराज आपके सातवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं। वर्तमान समय में यह आपको तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं। इस दौरान आपको दोस्तों के साथ थोड़ी अजीब परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है और ऐसे में, आपके हाथ से कई मौके निकल सकते हैं इसलिए आपको योजना बनाकर चलने की सलाह दी जाती है। जब बात आती है करियर की, तो आपको अपने शेड्यूल में बदलाव के साथ-साथ काफ़ी यात्राएं करनी पड़ सकती हैं। 

बात करें व्यापार की, तो आपको प्रतिद्वंदियों की तरफ से भारी टक्कर मिल सकती है जो आपके लिए ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना मुश्किल कर सकते हैं। वहीं, आर्थिक जीवन में आपको धन लाभ भी प्राप्त होगा और आपके खर्चों में भी वृद्धि होगी जिसके चलते आप बचत करने में नाकाम रह सकते हैं। 

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए बृहस्पति देव आपके छठे भाव में वक्री हो रहे हैं और यह आपके दूसरे और ग्यारहवें भाव के भी अधिपति देव है। इसके फलस्वरूप, इस राशि के जातक जरूरत से ज्यादा धन खर्च करते हुए दिखाई दे सकते हैं और ऐसे में, इन लोगों को अपने  खर्चों को पूरा करने के लिए लोन लेने की नौबत आ सकती है।

बात करें आपके करियर की, तो इस राशि के जातक गुरु वक्री के दौरान थोड़े संतुष्ट नज़र आ सकते हैं। इस समय आपके सहकर्मी कार्यक्षेत्र में आपसे आगे हो सकते हैं जिसकी वजह से आप तनाव में आ सकते हैं। इन लोगों को अपनी कंपनी पर पकड़ मज़बूत करने और आय में वृद्धि के लिए व्यापार करने के तरीकों में बदलाव करना होगा। आर्थिक जीवन में आपको पैतृक संपत्ति और अनेक माध्यम से धन की प्राप्ति होगी, लेकिन आप फिर भी असंतुष्ट रह सकते हैं। 



गुरु कर्क राशि में वक्री: इन राशियों के लिए समय रहेगा बेहद शुभ 

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए गुरु महाराज आपके नौवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं। बता दें कि आपकी कुंडली में गुरु ग्रह दूसरे और पांचवें भाव को नियंत्रित करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, इन अवधि में आप अपनी पूरी क्षमताओं का इस्तेमाल करते हुए खुद को मिलने वाले मौकों का फायदा उठाने में सक्षम होंगे। करियर की बात करें तो, अगर आप पूरी मेहनत और लगन के साथ काम करेंगे, तो ऐसा करना आपके लिए फलदायी साबित होगा। साथ ही, आप वरिष्ठों को अपनी बेहतरीन नेतृत्व क्षमता दिखाने में भी सफल रहेंगे। 

जब बात आती है व्यापार की, तो गुरु कर्क राशि में वक्री के दौरान आपके पास धन लाभ कमाने के कई अवसर मौजूद होंगे। आपके क्षेत्र पर आपका अधिकार हो सकता है। वहीं, आर्थिक जीवन में आप अच्छा ख़ासा  धन कमाने में और उसे सही जगह निवेश करने में सक्षम होंगे। इस समय आप पर्याप्त मात्रा में बचत करने के साथ-साथ अच्छा रिटर्न भी प्राप्त करेंगे। 

गुरु कर्क राशि में वक्री: विश्व पर प्रभाव 

रियल एस्टेट, भोजन, जल और घरेलू उद्योग 

  • बता दें कि कर्क राशि घर, संपत्ति, रियल एस्टेट और घरेलू क्षेत्र को नियंत्रित करती है इसलिए इस राशि में गुरु ग्रह के वक्री होने से दुनिया भर में हाउसिंग, भूमि, और रियल एस्टेट से जुड़े क्षेत्रों की रफ़्तार धीमी हो सकती है या इन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है।
  • जल से जुड़े क्षेत्र जैसे शिपिंग, मछली पालन, फ़ूड या कृषि आदि क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर्क राशि करती है क्योंकि यह जल तत्व की राशि है। ऐसे में, वैश्विक स्तर पर फ़ूड, कृषि और मरीन सेक्टर से जुड़ी योजनाओं में बदलाव या कोई बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
  • गुरु महाराज कर्क राशि में उच्च अवस्था में होते हैं इसलिए इन सभी क्षेत्रों में बृहस्पति ग्रह प्रगति लेकर आ सकते हैं, परंतु इनके वक्री अवस्था में होने के कारण आपको कोई भी फैसला जल्दबाज़ी में लेने के बजाय अच्छे से सोच-विचार करने की सलाह दी जाती है। 

आध्यात्मिकता और नैतिक मूल्य

  • ज्योतिष में गुरु ग्रह को ज्ञान, सीखने और फिलॉसफी का प्रतीक माना जाता है। सरल शब्दों में कहें, तो यह कर्क राशि में उच्च और वक्री अवस्था में होंगे। ऐसे में, यह अवधि खुद के अंदर झांकने, अपने विचारों और सिद्धांतों के बारे में सोचने और प्रगति का सही अर्थ समझने की होगी। 
  • गुरु कर्क राशि में वक्री के दौरान जातकों की रुचि परिवार के बारे में जानने, धर्म, आध्यात्मिकता, पारिवारिक रीति-रिवाजों और हीलिंग पद्धतियों में होगी। 
  • इस समय सरकार और बड़े पद पर बैठे अधिकारी अध्यधिक आत्म-चिंतित हो सकते हैं और वह बनावटी विकास के बजाय किस तरह का समाज निर्मित करना चाहते हैं, इस पर अपना सारा ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

भू-राजनीति और वैश्विक रणनीति 

  • गुरु ग्रह का वक्री होना कहता है कि जातकों को तेज़ी से आगे बढ़ने के बजाय थोड़ा रुकना होगा या फिर तालमेल बिठाना होगा, इसलिए इस दौरान नीतियों और कानूनों पर पुनः सोच-विचार किया जा सकता है। 
  • जैसे कि हम जानते हैं कि गुरु ग्रह उच्च अवस्था में होंगे इसलिए इसे सकारात्मक कहा जाएगा। लेकिन, इनके वक्री होने से प्रगति की रफ़्तार मंदी या उसमें देर होने की आशंका है या फिर पुरानी योजनाओं पर दोबारा सोच-विचार करना होगा। 
  • गुरु वक्री के दौरान ऐसे देश जो सिद्धांतों या अध्यात्म पर काफ़ी ज़ोर देते होंगे या फिर आंतरिक सुरक्षा, मातृभूमि या पारिवारिक कल्याण पर ध्यान केंद्रित करते हैं, उन्हें यह अवधि अत्यधिक प्रभावित कर सकती है। 
  • इस दौरान घर से जुड़ी चीज़ों, इंफ्रास्ट्रक्चर, घरेलू खपत से जुड़े बाज़ार और आर्थिक योजनाओं पर नए सिरे से विचार किया जा सकता है। लेकिन, आपको सतर्कता बरतनी होगी क्योंकि गुरु देव की वक्री अवस्था अत्यधिक प्रगति को लेकर सावधान करती है। 

गुरु कर्क राशि में वक्री: शेयर बाजार रिपोर्ट 

  • गुरु कर्क राशि में वक्री होंगे और ऐसे में, प्रगति की रफ़्तार सुस्त रहने की संभावना है या फिर शेयर बाजार भविष्यवाणी के अनुसार, शेयर बाजार भी मंदा पड़ने का अनुमान है।
  • इस अवधि में निवेशक थोड़ा सोच-समझकर निवेश कर सकते हैं क्योंकि गुरु देव प्रगति के ग्रह हैं और इनका वक्री होना मार्केट में उतार-चढ़ाव लेकर आ सकता है।
  • रियल एस्टेट, जल से जुड़े सेक्टर, घरेलू खपत से जुड़े सेक्टरों पर नज़र बनाए रखनी होगी क्योंकि इनमें बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
  • गुरु वक्री के दौरान निवेश या सट्टेबाजी से जुड़े क्षेत्रों को लेकर सजग रहें क्योंकि शेयर बाजार या सुरक्षा क्षेत्रों में गिरावट आ सकती है। 

इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा Omasttro के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।



अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या चंद्रमा और बृहस्पति आपस में मित्र हैं?

नहीं, चंद्रमा और गुरु ग्रह एक-दूसरे से तटस्थ संबंध रखते हैं। 

गुरु ग्रह की नीच राशि कौन सी है?

ज्योतिष के अनुसार, मकर राशि में गुरु देव नीच अवस्था में होते हैं।

मकर राशि के स्वामी कौन हैं?

राशि चक्र की दसवीं राशि मकर के स्वामी शनि देव हैं।   

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