सफला एकादशी 2025 पर व्रत रखने से सफल होंगे सारे काम, नोट कर लें तिथि !

kanishk Omasttro
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सफला एकादशी 2025: पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी पर भगवान विष्‍णु के लिए व्रत एवं पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सफला एकादशी का व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें हर कार्य और हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। 

Omasttro के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको सफला एकादशी के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, इस एकादशी के महत्व, पूजा विधि, इस दौरान पढ़ी जाने वाली पौराणिक कथा के बारे में भी बताएंगे और इस दिन किए जाने वाले खास उपाय के बारे में भी विस्तार से जानकारी देंगे।

सफला एकादशी 2025: तिथि व समय

14 दिसंबर, 2025 को शाम 06 बजकर 51 मिनट पर एकादशी तिथि आरंभ होगी और इसका समापन 15 दिसंबर, 2025 को 09 बजकर 22 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार सफला एकादशी का व्रत 15 दिसंबर, 2025 को पड़ रहा है।

सफला एकादशी पारण समय: 16 दिसंबर, 2025 को सुबह 07 बजकर 06 मिनट ये 09 बजकर 10 मिनट तक।

समयावधि: 2 घंटे 3 मिनट

सफला एकादशी 2025 का क्‍या महत्व है

सभी 24 एकादशियों में सफला एकादशी भी बहुत महत्‍व रखती है। सफला का अर्थ है सफलता, इसलिए सफला एकादशी भक्तों के सभी कार्यों को सफल बनाने वाली एकादशी है। ऐसा कहा जाता है कि हजारों साल तक तपस्या करने के बाद जिस पुण्य फल की प्राप्ति होती है, वह पुण्य सफला एकादशी व्रत करने से मिल सकता है।

धर्म ग्रंथों में सफला एकादशी का दिन एक ऐसे दिन के रूप में वर्णित है जिस दिन व्रत रखने से सभी दुख एवं कष्ट दूर हो जाते हैं और भाग्य खुल जाता है। सफला एकादशी का व्रत रखने से भक्त की सभी इच्छाएं और सपने पूरा होते हैं। इस दिन मंदिर एवं तुलसी के नीचे दीपदान करने से भी मनोकामना की पूर्ति हो सकती है

सफला एकादशी की पूजन विधि

भक्‍त सफला एकादशी पर निम्‍न विधि से पूजा कर सकते हैं:

  • सफला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्‍नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सूर्यदेव को जल अर्पित करें। 
  • इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को शुद्ध जल से स्नान कराएं और उनके समक्ष दीप जलाएं।
  • भगवान विष्णु का श्रृंगार करें और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं।
  • फिर भगवान विष्णु को पुष्प अर्पित करें और गेंदे के फूल की माला पहनाएं। बता दें कि भगवान विष्णु की पूजा के लिए गेंदे के फूल का विशेष महत्व है।
  • अब भोग लगाएं और भोग में तुलसी का पत्ता डालना न भूलें।
  • भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें और ध्यान करें।
  • सफला एकादशी की कथा पढ़ें और फिर भगवान विष्णु की आरती उतारें। 
  • आरती के बाद पूजा में उपस्थित सभी लोगों में प्रसाद बांटे।

सफला एकादशी की कथा

सफला एकादशी की कथा के बारे में बात करें, तो पौराणिक कथा के अनुसार, चंपावती नगर में महिष्मान नाम का एक सफला एकादशी की कथा के बारे में बात करें, तो पौराणिक कथा के अनुसार, राजा रहता था। राजा के पांच पुत्र थे, जिसमें सबसे बड़ा बेटा लुंभक चरित्रहीन था, वह हमेशा गलत कार्यों जैसे नशा करना, तामसिक भोजन करना, जुआ खेलना, बड़ों और ब्राह्मणों का अनादर करना आदि कार्यों में लिप्त रहता था।

राजा अपने बेटे की इन हरकतों से काफी परेशान रहते थे और एक बार उससे अत्‍यधिक तंग आकर राजा ने अपने बेटे को राज्य से ही बेदखल कर दिया। पिता ने राज्य से बाहर निकाल दिया तो लुंभक जंगल में भटकने लगा और कंदमूल खाकर अपना पेट भरने लगा। एक बार बहुत अधिक ठंड की वजह से वह रात में सो नहीं पाया और पूरी रात ठंड से कांपता रहा, जिसके कारण वह बेहोश हो गया।

उस दिन पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि थी। अगले दिन जब वह होश में आया तो उसे अपने पाप कर्मों पर पछतावा हुआ, जिसके बाद उसने जंगल से कुछ फल इक्ट्‌ठा किए और पीपल के पेड़ के पास रखकर भगवान विष्णु का स्मरण किया।

सर्दी इतनी थी कि उस रात भी उसे नींद नहीं आई और वह पूरी रात भगवान विष्णु के नाम का जाप करता रहा। इस तरह उसने सफला एकादशी का व्रत पूरा कर लिया। इस व्रत के प्रभाव से उसने धर्म के मार्ग पर चलने का फैसला लिया और सत्कर्म करने लगा।

जब इसकी जानकारी राजा को हुई तो उन्होंने अपने बेटे लुंभक को राज्य में वापस बुला लिया और राज्य की सारी जिम्मेदारी उसे सौंपने का फैसला लिया। इस तरह सफला एकादशी के व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया।

सफला एकादशी का महात्‍म्‍य

सफला एकादशी को पौष कृष्‍ण एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्‍णु की उपासना करने के लिए यह एक पवित्र एवं शुभ दिन है। इस दिन व्रत रखने का भी विधान है।

भगवान कृष्‍ण के अनुसार जो भी व्‍यक्‍ति एकादशी का व्रत रखता है, वह सदैव के लिए विष्‍णु जी को प्रिय हो जाता है। इस दिन श्रद्धालुओं को ईश्‍वर को ताजे फल अर्पित करने चाहिए और ईश्‍वर का ध्‍यान करना चाहिए। एकादशी तिथि पर धूप-दीप ताजे फल अर्पित करने चाहिए और ईश्‍वर का ध्‍यान करना चाहिए। एकादशी तिथि पर धूप-दीप जलाने के बाद, घी का दीया जलाएं और भगवान को उनका प्रिय भोग लगाएं।

सफला एकादशी 2025 पर व्रत रखने के लाभ

किसी भी एकादशी तिथि का व्रत रखने से व्‍यक्‍ति को असीम पुण्‍य की प्राप्‍ति होती है। वर्तमान के ही नहीं बल्कि इस व्रत को करने से पिछले जन्‍म के पाप भी धुल जाते हैं। इस व्रत को करने से भगवान विष्‍णु प्रसन्‍न होते हैं जिससे जीवन में खुशियां, शांति और संपन्‍नता आती है।

मान्‍यता है कि सफला एकादशी 2025 का व्रत करने से हज़ारों वर्षों तपस्‍या करने जितना फल एवं पुण्‍य प्राप्‍त होता है। व्रत के अलावा इस शुभ दिन पर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्‍नान करने से भी अत्‍यधिक लाभ की प्राप्‍ति होती है। यदि पूरी श्रद्धा और सच्‍चे मन से सफला एकादशी का व्रत किया जाए, तो इससे मन और हृदय दोनों शुद्ध हो जाते हैं और व्‍यक्‍ति को मृत्‍यु के बाद मोक्ष की प्राप्‍त‍ि होती है।

सफला एकादशी 2025 पर दान क्‍यों करना चाहिए

सफला एकादशी पर दान करने से निम्‍न लाभ हो सकते हैं

  • स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से छुटकारा पाने के लिए इस एकादशी पर अनाज का दान करना चाहिए।
  • वित्तीय तंगी या समस्‍याएं परेशान कर रही हैं, तो इस एकादशी पर कपड़ों, छतरी या जूतों का दान करें।
  • किसी आरोप या मतभेद को दूर करने के लिए किसी मीठी चीज़ खासतौर पर गुड़ का दान कर सकते हैं।
  • यदि किसी के विवाह में देरी या अड़चनें आ रही है, तो वह सफला एकादशी 2025 पर केले, केसर या हल्‍दी का दान करे।
  • अगर किसी को संतान नहीं हो पा रही है, तो वह एकादशी के दिन एक पीपल का पेड़ लगाएं।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

1. क्‍या एकादशी पर निर्जल व्रत रखना जरूरी है?

एकादशी पर निर्जल, फलाहार और एकादशी प्रसादम जैसे तीन तरीकों से व्रत रखा जा सकता है।

2. अगर परिवार के सभी सदस्‍य एकादशी व्रत न रखें तो क्‍या होता है?

ऐसा जरूरी नहीं है कि एकादशी का व्रत परिवार के हर सदस्‍य को रखना होता है।

3. सफला एकादशी 2025 कब है?

सफला एकादशी का व्रत 15 दिसंबर, 2025 को पड़ रहा है।

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