12
अप्रैल, 2025
(शनिवार)
हनुमान जयंती
अप्रैल 12, 2025 को 03:24:28 से पूर्णिमा आरम्भ
अप्रैल 13, 2025 को 05:54:32 पर पूर्णिमा समाप्त
हनुमान जयंती 2025 पर। यह ब्लॉग भगवान हनुमान के जीवन, उनकी भक्ति, हनुमान जयंती के महत्व, पूजा विधि, तिथि और इससे जुड़े सभी पहलुओं को विस्तार से कवर करता है।
🌺 हनुमान जयंती 2025: श्रद्धा, शक्ति और भक्ति का पर्व 🌺
🔹 भूमिका
भारतवर्ष की सांस्कृतिक विरासत अत्यंत समृद्ध है, जहां देवी-देवताओं के अनेक पर्व मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक अत्यंत पावन एवं भक्तिपूर्ण पर्व है हनुमान जयंती। यह दिन भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। 2025 में यह पर्व और भी विशेष है क्योंकि यह वर्ष एक विशेष ज्योतिषीय योग में आ रहा है।
हनुमान जी को "अंजनिपुत्र", "मारुति", "बजरंगबली", "महावीर", आदि कई नामों से जाना जाता है। वे रामभक्तों के आराध्य, संकटमोचन और अष्ट सिद्धियों के दाता हैं। यह पर्व उनके अद्भुत जीवन, वीरता और भक्ति को स्मरण करने का अवसर है।
🔹 हनुमान जयंती 2025 की तिथि
हनुमान जयंती 2025 में मंगलवार, 15 अप्रैल को मनाई जाएगी।
यह दिन चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को आता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार अत्यंत शुभ माना जाता है।
🔹 भगवान हनुमान का जन्म
भगवान हनुमान का जन्म विष्णु के अवतार श्रीराम के सेवक के रूप में हुआ था। वे केसरी और अंजना देवी के पुत्र हैं। मान्यता है कि अंजना देवी ने वानर रूप में शिवजी की आराधना की थी और आशीर्वाद स्वरूप उन्हें हनुमान रूपी तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई।
हनुमान जी का जन्म समय अद्भुत घटनाओं से भरा है –
जब अंजना देवी तपस्या कर रही थीं, उसी समय दशरथ जी ने पुत्रेष्टि यज्ञ किया। यज्ञ का प्रसाद (खीर) वायु देवता के माध्यम से अंजना देवी तक पहुंचा और हनुमान जी का जन्म हुआ। इसलिए उन्हें वायुपुत्र भी कहा जाता है।
🔹 हनुमान जी का बाल्यकाल
हनुमान जी बचपन से ही अत्यंत बलशाली, चंचल और तेजस्वी थे। उन्होंने सूर्य को फल समझकर निगल लिया था, जिससे पूरे ब्रह्मांड में अंधकार फैल गया। तब देवताओं ने मिलकर उनसे सूर्य को वापस छोड़ने की प्रार्थना की।
बाल हनुमान की शरारतों से तंग आकर ऋषियों ने उन्हें यह वरदान दिया कि वे अपनी शक्तियों को भूल जाएँगे और उचित समय पर ही उन्हें याद आएगा।
🔹 रामायण में हनुमान जी की भूमिका
हनुमान जी का चरित्र रामायण में विशेष रूप से उल्लेखनीय है। वे राम के अनन्य भक्त, दूत, मित्र और सहायक के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनके प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:
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सीता माता की खोज
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लंका दहन
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संजीवनी बूटी लाना
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राम-रावण युद्ध में अद्भुत पराक्रम
हनुमान जी का चरित्र केवल वीरता नहीं बल्कि विनम्रता, सेवा, निष्ठा और अद्भुत बुद्धि का प्रतीक भी है।
🔹 हनुमान जयंती का महत्व
हनुमान जयंती का दिन भक्तों के लिए भक्ति, उपासना और आत्मचिंतन का समय होता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे एक भक्त अपने आराध्य की सेवा में अपने जीवन को समर्पित कर सकता है।
इस दिन लोग:
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व्रत रखते हैं
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हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ करते हैं
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हनुमान मंदिरों में विशेष पूजन व झांकी का आयोजन करते हैं
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दान-पुण्य व सेवा कार्य करते हैं
🔹 हनुमान जी की पूजा विधि (Hanuman Jayanti Puja Vidhi)
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स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
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हनुमान जी की मूर्ति या चित्र को गंगाजल से स्नान कराएं।
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उन्हें सिंदूर, चोला, फूल, माला अर्पित करें।
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घी का दीपक और गुग्गुल धूप जलाएं।
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हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण का पाठ करें।
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लड्डू या बूंदी का भोग लगाएं।
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‘ॐ हनुमते नमः’ मंत्र का जाप करें।
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अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
🔹 हनुमान जी से जुड़ी मान्यताएं
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हनुमान जी अमर हैं – उन्हें "चिरंजीवी" कहा जाता है।
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वे आज भी रामनाम के जाप में लीन हैं।
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संकट के समय उनकी सच्चे मन से पूजा करने से हर कष्ट दूर हो जाता है।
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वे नौ ग्रहों से भी अधिक प्रभावशाली माने जाते हैं।
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जिन पर हनुमान जी की कृपा होती है, उन्हें किसी भय की आवश्यकता नहीं होती।
🔹 हनुमान जयंती पर विशेष आयोजन
हनुमान जयंती पर देशभर में भव्य आयोजन होते हैं:
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मंदिरों में अखंड रामायण पाठ
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हनुमान जन्मोत्सव शोभा यात्राएं
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भजन-कीर्तन और रात्रि जागरण
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विशेष रूप से तैयार 'चोला अर्पण'
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भंडारा और लंगर सेवा
🔹 हनुमान जी के गुण और शिक्षाएं
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भक्ति: भगवान राम के प्रति हनुमान जी की भक्ति अद्वितीय है।
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सेवा: उन्होंने बिना अहंकार के सेवा की।
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साहस: किसी भी भय से परे होकर कार्य करना।
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विनम्रता: इतनी शक्तियों के बावजूद कभी अभिमान नहीं किया।
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ज्ञान: वे श्रेष्ठ वक्ता, ज्ञानी और शास्त्रों के पारंगत थे।
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निष्ठा: एकनिष्ठ होकर अपने आराध्य के पथ पर चलना।
🔹 हनुमान जी के 12 नाम (द्वादश नाम)
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ओम् हनुमंते नमः
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ओम् अञ्जनासूनवे नमः
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ओम् वायुपुत्राय नमः
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ओम् महाबलाय नमः
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ओम् रामेष्ठाय नमः
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ओम् फाल्गुणसखाय नमः
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ओम् पिंगाक्षाय नमः
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ओम् अमितविक्रमाय नमः
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ओम् उदधिक्रमणाय नमः
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ओम् सीताशोकविनाशनाय नमः
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ओम् लक्ष्मणप्राणदातृे नमः
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ओम् दशग्रीवदर्पहन्त्रे नमः
🔹 वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हनुमान जी
कुछ लोग हनुमान जी को अतिमानवी शक्ति का प्रतीक मानते हैं। उनकी उड़ने की क्षमता, पर्वत उठा लेना, आकार परिवर्तन जैसे गुण मानव चेतना और आत्मशक्ति की पराकाष्ठा का प्रतीक हैं।
अगर आध्यात्मिक नजरिए से देखें, तो हनुमान जी योग, ध्यान, प्राणायाम के सिद्ध विशेषज्ञ थे। वे ब्रह्मचारी थे और अतुल बल के स्वामी।
🔹 विदेशों में भी हनुमान पूजा
भारत के साथ-साथ नेपाल, इंडोनेशिया, थाईलैंड, कंबोडिया और श्रीलंका जैसे देशों में भी हनुमान जी की पूजा होती है।
इंडोनेशिया में उन्हें "अनुमन" कहा जाता है और रामायण का मंचन वहाँ एक सांस्कृतिक परंपरा है।
🔹 संकल्प और संदेश
हनुमान जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मिक बल, कर्तव्यनिष्ठा और निस्वार्थ सेवा का स्मरण है। इस दिन हमें संकल्प लेना चाहिए कि:
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हम सत्य और धर्म के मार्ग पर चलें।
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अहंकार को त्यागकर सेवा भाव अपनाएं।
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अपने कर्तव्यों का निष्ठा से पालन करें।
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प्रतिदिन राम नाम और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
🔹 निष्कर्ष
हनुमान जयंती 2025 हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि भगवान हनुमान केवल शक्ति के प्रतीक नहीं, बल्कि भक्ति, समर्पण और विवेक के स्वरूप हैं। उनका जीवन हम सभी के लिए एक आदर्श है।
उनकी आराधना से जीवन में ऊर्जा, आत्मबल और विश्वास का संचार होता है।
🌸 जय बजरंगबली! जय श्रीराम! 🌸
"संकट मोचन नाम तिहारो, जो सुमिरे सो दुखिया न होई।"
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