ललिता सहस्रनाम भावार्थ और व्याख्या ध्यान मंत्र — 1 | ललिता सहस्रनाम (भाग 1)

Om Asttro
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 हम शाक्त तंत्र में एक और श्रृंखला लेकर आए हैं जिसका नाम है “ललिता सहस्रनाम हिंदी व्याख्या”। इस श्रृंखला में मैं ललिता सहस्रनाम स्त्रोत्र में वर्णित 1000 नामों के अर्थों और भावों को स्पष्ट करूँगा।





इस श्रृंखला के लिए पढ़ने की सूची नीचे साझा की गई है। यह अनुशंसा की जाती है कि आप ब्लॉग को क्रम से पढ़ें। 

मंत्र जप में ध्यान का महत्व

मंत्र जप में “ध्यान” का एक विशिष्ट अर्थ होता है। यहाँ ध्यान का तात्पर्य मंत्र पर चित्त एकाग्र कर उसमें वर्णित इष्ट देवता के स्वरूप का चिंतन करना है।

ललिता देवी ध्यान मंत्र माँ ललिता के दिव्य रूप का मानसिक चित्रण और चिंतन करने में सहायता करता है। यह ध्यान प्रक्रिया हमारे चित्त को एकाग्र कर माँ से जुड़ने में सहायता करती है ताकि हम भावपूर्वक माँ की स्तुति कर सकें।

ध्यान मंत्र भक्त और आराध्य के बीच संबंध को स्थापित और प्रगाढ़ करते हैं। आज, हम माँ ललिता देवी के सुंदर ध्यान मंत्र का भावार्थ समझकर उसका चिंतन करने करेंगे।

ध्यान मंत्र — 1

सिन्धूरारुण विग्रहां त्रिनयनां माणिक्य मौलिस्फुर-
त्तारानायक शेखरां स्मितमुखी मापीन वक्षोरुहाम् ।
पाणिभ्या मलिपूर्ण रत्न चषकं रक्तोत्पलं बिभ्रतीं
सौम्यां रत्नघटस्थ रक्त चरणां ध्यायेत्परामम्बिकाम् ॥ 1॥

सिंधूरारुण विग्रहां

  • माँ ललिता का दिव्य श्री विग्रह सिंदूरी वर्ण की आभा से युक्त है और अनंत सूर्य की रश्मियों से प्रकाशित हैं | माँ का रक्तवर्णमय स्वरुप उनकी करुणा और प्रेम का प्रतीक है |

त्रिनयनां

  • माँ के तीन नेत्र हैं, जो उनकी त्रिकालदर्शिता और सर्वज्ञता का प्रतीक हैं। ये तीन नेत्र सूर्य, चंद्र और अग्नि का प्रतिनिधित्व करते हैं।

माणिक्य मौलिस्फुरत्तारानायक शेखरां

  • भगवती के ललाट पर माणिक्य जड़ित मुकुट और अर्धचंद्र सुशोभित है। यह माँ के अनंत वैभव और ऐश्वर्य का प्रतीक है |स्मितमुखीमापीन वक्षोरुहाम्

स्मितमुखीमापीन वक्षोरुहाम्

  • माँ ललिता का मुख मंद मुस्कान से अलंकृत हैं जो की उनके भक्तों में आनंद का विस्तार करती है । माँ के पूर्ण विकसित उरोज उनके मातृत्व और स्त्रीत्व का प्रतीक है।

पाणिभ्यामलिपूर्ण रत्न चषकं रक्तोत्पलं बिभ्रतीं

  • माँ अपने एक करकमल में अमृत से पूर्ण रत्नजटित चषक और दुसरे में रक्तोत्पल (लाल कमल) धारण करती हैं।माँ अपने भक्तों को लौकिक वैभव और परलौकिक आनंद दोनों प्रदान करती हैं

सौम्यां रत्नघटस्थ रक्त चरणां ध्यायेत्परामम्बिकाम्

  • माँ ललिता का स्वरूप अत्यंत सौम्य और शांत है जो की उनके भक्तों के हृदय को शीतलता प्रदान करता है । माँ के रक्त कमल के समान कोमल चरण रत्नजड़ित आसन पर विराजमान हैं। माँ के चरण उनके भक्तों को भोग, मोक्ष और प्रेम प्रदान करते हैं । हम ऐसी पराम्बा का हम ध्यान करते हैं।

भावार्थ

इस ध्यान श्लोक में माँ ललिता के दिव्य और सुंदर स्वरूप का वर्णन किया गया है। उनका विग्रह सिंदूरी वर्ण का है, उनके तीन नेत्र हैं जो उनकी सर्वज्ञता का प्रतीक हैं, उनके मस्तक पर माणिक्य से जड़ा मुकुट और अर्धचंद् रहै, जो उनके वैभव और ऐश्वर्य को दर्शाता है। उनका मुख सदैव मंद मुस्कान से विभूषित रहता है। वे पूर्ण विकसित उरोजों वाली हैं, जो उनके मातृत्व और स्त्रीत्व का प्रतीक है।

वे अपने हाथों में अमृत से भरा रत्नजटित प्याला और लाल कमल धारण करती हैं, जो उनकी कृपा और सुंदरता को दर्शाते हैं। उनका स्वरूप अत्यंत शांति और सौम्यता से भरा हुआ है। उनके रक्तवर्ण चरण रत्नजटित आसन पर में स्थित हैं।

इस श्लोक का उद्देश्य हमें माँ ललिता, जो परम अम्बिका हैं, का ध्यान और स्तुति करने के लिए प्रेरित करना है।

ध्यान मंत्र का उपयोग करके ध्यान कैसे करें

जब आप ध्यान मंत्र का जाप करते हैं, तो अपनी आँखें बंद करने के लिए कुछ समय लें और माँ ललिता के रूप का निम्नलिखित प्रकार से चिंतन करें:

  1. माँ के ज्योतिर्मय विग्रह का चितंन करें, जो अरुणिम वर्ण का है।
  2. माँ के शीश पर माणिक्य जड़ित मुकुट और एक अर्धचंद्र सुशोभित हैं ।
  3. माँ के स्मितमुख का चिंतन करें। जो आनंद, विलास और प्रेम का विस्तार कर रहा है।
  4. माँ के करकमल में अमृत का प्याला और रक्त कमल सुशोभित है ।
  5. माँ के चरण कमलों पर पर ध्यान केंद्रित करें, जो रत्नों से सज्जित आसन पर विराजमान हैं और लोक परलोक के समस्त सुख प्रदान करने वाले हैं।

निष्कर्ष

माँ ललिता का ध्यान मंत्र केवल एक प्रार्थना नहीं है बल्कि एक गहन ध्यान प्रक्रिया है । मंत्र में वर्णित उनके स्वरूप का ध्यान करके हम माँ से अपने चिर सम्बंध को पुनः स्मरण करते हैं और उनके दर्शन का प्रयास करते हैं।

अगली बार जब आप ललिता सहस्रनाम का जाप करें या किसी मंदिर में जाएँ, तो ध्यान मंत्र का उपयोग करके माँ ललिता का चिंतन करने के लिए कुछ समय निकालें। उनका चिंतन आपके हृदय में शांति और आनंद का स्फुरण करेगा।

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