शुक्र का कन्या राशि में गोचर: वैदिक ज्योतिष में शुक्र देव को महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है जो कि एक शुभ ग्रह हैं। यह प्रेम, विवाह और जीवनसाथी के कारक ग्रह हैं इसलिए मनुष्य जीवन को गहराई से प्रभावित करने का सामर्थ्य रखते हैं।
इस प्रकार, शुक्र ग्रह की चाल, दशा और स्थिति में होने वाला बदलाव ज्योतिष में विशेष मायने रखता है जो अब जल्द ही अपनी राशि में परिवर्तन करते हुए कन्या राशि में गोचर करने जा रहे हैं। शुक्र का यह गोचर देश-दुनिया और संसार पर अपना असर डालेगा। साथ ही, इस राशि में शुक्र की स्थिति आपके लिए कैसी रहेगी? इसकी बात भी हम आगे करेंगे।
आज का हमारा यह विशेष ब्लॉग आपको “शुक्र का कन्या राशि में गोचर” से संबंधित समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, शुक्र देव कब और किस समय अपना राशि परिवर्तन करेंगे? इनका यह गोचर आपको सकारात्मक या नकारात्मक किस तरह के परिणाम देगा?
शुक्र का कन्या राशि में प्रवेश किन राशियों के लिए शुभ रहेगा और किनकी समस्या बढ़ाएगा? आपके मन में उठने वाले इन सभी सवालों के जवाब आपको “शुक्र गोचर 2025” के इस लेख में प्राप्त होंगे। इसके अलावा, शुक्र ग्रह को कुंडली में बलवान करने के उपाय आपको विद्वान ज्योतिषियों द्वारा बताए जाएंगे, ताकि आप शुभ फल प्राप्त कर सकेंगे। तो आइए शुरू करते हैं यह लेख और जानते हैं शुक्र गोचर का समय।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर: तिथि एवं समय
सबसे पहले बात करें शुक्र गोचर की, तो शुक्र देव का गोचर सामान्य रूप से 23 दिन बाद होता है और इसके बाद, यह एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। अब शुक्र ग्रह 09 अक्टूबर 2025 की सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर कन्या राशि में गोचर करने जा रहे हैं।
बता दें कि कन्या राशि में शुक्र नीच अवस्था में होते हैं और इस राशि पर बुध ग्रह को अधिपत्य प्राप्त हैं। हालांकि, इस गोचर की अच्छी बात यह होगी कि शुक्र का यह राशि परिवर्तन अपने मित्र बुध ग्रह की राशि में होगा, फिर भी इस स्थिति को अनुकूल नहीं कहा जा सकता है।
ऐसे में, यह राशियों को अच्छे और बुरे दोनों तरह के परिणाम प्रदान कर सकता है। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको अवगत करवाते हैं शुक्र के कन्या राशि में प्रभाव से।
शुक्र कन्या राशि में कैसे प्रभाव देते हैं?
- जैसे कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि कन्या राशि में शुक्र नीच अवस्था में होते हैं। हालांकि फिर भी, शुक्र की यह स्थिति अच्छी होती है क्योंकि कन्या राशि के स्वामी ग्रह बुध, शुक्र देव के परम मित्र हैं।
- जब शुक्र ग्रह कन्या राशि में विराजमान होते हैं, तो यह वैवाहिक जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं क्योंकि शुक्र का संबंध जीवनसाथी और विवाह से भी है।
- साथ ही, कन्या राशि में नीच अवस्था में होने के कारण जातकों को दांपत्य जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- इस प्रकार, जब शुक्र देव कन्या राशि में मौजूद होते हैं, तो इस दौरान व्यक्ति को बहुत सोच-समझकर आगे बढ़ना चाहिए।
- कन्या राशि में शुक्र के बैठे होने से व्यक्ति विपरीत लिंग की तरफ आकर्षित होता है।
- बता दें कि बुध को मन का कारक माना जाता है और जब यह दोनों ग्रह एक साथ आते हैं, तो जातक का मन कामुक और प्रेम के विचारों से भरा रहता है।
- कुंडली में शुक्र देव के कन्या राशि में बैठे होने के कारण व्यक्ति को प्रेम और वैवाहिक जीवन में संतुष्टि और आनंद पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
- कन्या राशि में शुक्र के तहत जन्मे जातक प्रेम जीवन के रिश्ते को प्रतिबद्ध बनाने में सक्षम होते हैं। सामान्य रूप से, यह जातक अपने साथी के प्रति समर्पित होते हैं।
- इन लोगों का दिल साफ़ होता है और यह स्वभाव से दयालु होते हैं। साथ ही, इनका व्यक्तित्व आकर्षक होता है इसलिए लोग इनकी आकर्षित जल्दी आकर्षित हो जाते हैं।
- कन्या राशि में उपस्थित शुक्र के अंतर्गत जन्मे जातक विलासिता पसंद करते हैं। ऐसे व्यक्ति की रुचि शानदार जीवन जीने और ब्रांडेड कपड़े पहनने में होती है।
अब हम आपको बताने जा रहे हैं शुक्र का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर: ज्योतिष की दृष्टि से शुक्र ग्रह
- शुक्र देव प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और यह वृषभ और तुला राशि के अधिपति देव भी हैं। बता दें कि शुक्र महाराज वृषभ राशि में शुभ परिणाम प्रदान करते हैं।
- कुंडली में शुक्र सप्तम के स्वामी हैं और यह पत्नी के भाव के कारक माने जाते हैं। इसी भाव से किसी व्यक्ति की काम इच्छा को देखा जाता है।
- साथ ही, शुक्र महाराज भौतिक सुख-सुविधाओं के भी कारक ग्रह हैं, इसलिए जिन जातकों की कुंडली में शुक्र देव की स्थिति मज़बूत होती है, उन्हें जीवन में कभी सुख-सुविधाओं का अभाव नहीं होता है।
- जैसे कि हम भली-भांति जानते हैं कि शुक्र ग्रह विलासिता एवं ऐश्वर्य के ग्रह हैं। वैवाहिक जीवन से भी इनका संबंध होने के कारण शुक्र देव रिश्ते में प्रेम, आपसी समझ और सामंजस्य में वृद्धि करवाते हैं।
- यदि किसी जातक की कुंडली में शुक्र देव की स्थिति मजबूत होती हैं, तो उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
- शुक्र देव का प्रभाव विशेष रूप से महिलाओं पर देखा जाता है क्योंकि यह प्रेम, सौंदर्य और स्त्री जीवन से संबंधित विभिन्न भौतिक पहलुओं को भी दर्शाते हैं।
- शुक्र देव की कृपा से ही जातक की रुचि संगीत, कला, और रचनात्मक क्षेत्रों में होती है और वह इसमें महारत हासिल करता है।
- शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों का आनंद लेता हुआ दिखाई देता है।
- जिन जातकों का शुक्र बलवान होता है, वह अक्सर फैशन, डिजाइन और रचनात्मक क्षेत्रों में अपना करियर बनाते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर: धार्मिक दृष्टि से शुक्र ग्रह का महत्व
- शुक्र ग्रह का सिर्फ ज्योतिषीय रूप से ही नहीं धार्मिक रूप से भी विशेष महत्व है। हिंदू धर्मग्रंथों में शुक्र देव को असुरों के गुरू का दर्जा प्राप्त है इसलिए इन्हें शुक्राचार्य के नाम से भी जाना जाता है।
- भागवत पुराण में शुक्र ग्रह के संबंध वर्णन मिलता है कि महर्षि भृगु के पुत्र हैं शुक्र देव जो बचपन में कवि या भार्गव के नाम से भी जाने जाते थे।
- अगर हम बात करें इनके स्वरूप की, तो धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शुक्र देव का वर्ण श्वेत हैं और यह ऊँट, घोड़े या मगरमच्छ की सवारी करते हैं। इन्होंने अपने हाथों में दण्ड, कमल, माला और धनुष-बाण पकड़ा हुआ है।
- वहीं, देवी-देवताओं में शुक्र ग्रह धन की देवी माँ लक्ष्मी से संबंधित हैं इसलिए हिन्दू धर्म में धन-वैभव, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए शुक्रवार के दिन व्रत और पूजा करने की सलाह दी जाती है।
- ऐसा कहा जाता है कि असुरों को ज्ञान, विज्ञान और जीवन के रहस्यों की शिक्षा देने का श्रेय शुक्र देव को ही जाता है।
- शुक्र देव ने ही अपने ज्ञान से अनेक प्रकार के मंत्रों और औषधियों का आविष्कार किया था जिसकी सहायता से असुर देवताओं पर विजय प्राप्त करने में सफल रहे थे।
- मान्यता है कि मृत व्यक्ति को पुनः जीवित करने का ज्ञान शुक्राचार्य को भगवान शिव से मिला था और संजीवनी विद्या का उपयोग करने शुक्र असुरों को पुनः जीवित कर देते थे।
चलिए अब हम आपको रूबरू करवाते हैं शुक्र ग्रह से बनने वाले शुभ योगों से।
शुक्र ग्रह से बनने वाले शुभ योग
मालव्य योग: कुंडली में मालव्य योग उस समय निर्मित होता है जब शुक्र ग्रह उच्च राशि में या अपने केंद्र भाव में स्थित होते हैं। ऐसे जातक जिनकी जन्म कुंडली में मालव्य राजयोग बनता है, वह लोग कला, संगीत, नृत्य और मनोरंजन से जुड़े क्षेत्रों में कामयाबी हासिल करते हैं। साथ ही, इस योग के प्रभाव से जातक साहसी, पराक्रमी बनता है और उसकी निर्णय लेने की क्षमता मज़बूत होती है।
भेरी योग: 2. भेरी योग को बहुत शुभ योग माना जाता है और जब कुंडली में शुक्र और लग्नेश गुरु से केंद्र भाव में विराजमान हों या नवमेश मज़बूत अवस्था में होता है, तो भेरी योग का निर्माण होता है। इस योग के शुभ प्रभाव से जातक की आयु लंबी होती है और उसे अपने जीवन में धन, भूमि, भवन और संतान आदि का आशीर्वाद मिलता है। ऐसे लोगों की रुचि सामाजिक कार्यों में होती है।
बता दें कि शुक्र का कन्या राशि में गोचर के इस लेख में हम आपको शुक्र से बनने वाले सिर्फ़ शुभ योगों की ही जानकारी प्रदान कर रहे हैं। आइए अब नज़र डालते हैं शुक्र ग्रह के शुभ और अशुभ प्रभाव पर।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर: शुभ और अशुभ प्रभाव
शुक्र का नकारात्मक प्रभाव
- अगर आपकी कुंडली में शुक्र कमज़ोर होता है, तो आपके जीवन में धीर-धीरे गरीबी और निर्धनता वास करने लगती है।
- शुक्र ग्रह के निर्बल अवस्था में होने पर व्यक्ति को संतान प्राप्त करने में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- शुक्र महाराज की अशुभ स्थिति व्यक्ति के आर्थिक जीवन में बाधाएं पैदा करती है जिसके चलते आपको आर्थिक तंगी से दो-चार होना पड़ सकता है।
- शुक्र की कमज़ोर अवस्था आपके स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है और आपको आंत, शुगर, किडनी और मूत्र से जुड़े रोग परेशान कर सकते हैं।
- वैवाहिक जीवन में शुक्र की अशुभता वैवाहिक जीवन में तनाव और समस्याओं का कारण बनती है।
शुक्र का सकारात्मक प्रभाव
- ऐसे जातक जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह बलवान होता है, वह बेहद सुंदर और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं।
- शुक्र ग्रह के शुभ होने पर व्यक्ति में आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा होता है और वह लोगों में काफ़ी लोकप्रिय होता है।
- शुक्र के मज़बूत होने से जातक समाज में प्रसिद्धि और मान-सम्मान हासिल करता है।
- शुक्र देव का आशीर्वाद आपको जीवन में भौतिक सुखों प्रदान करता है।
- यदि आपको कार्यों के माध्यम से अचानक लाभ मिलने लगता है, तो यह मज़बूत शुक्र का संकेत होता है।
- ऐसे व्यक्ति जिनके जीवन में लगातार सुख-सुविधाओं में वृद्धि हो रही हैं, तो इसका कारण शुक्र देव होते हैं।
- शुक्र देव की कृपा आपको रचनात्मक क्षेत्रों से जुड़े करियर में सफलता प्रदान करती है।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर के दौरान करें ये उपाय
- दान: कुंडली में शुक्र ग्रह को मज़बूत करने के लिए शुक्र से जुड़ी सफेद वस्तुओं जैसे चीनी, दूध, सफेद मिठाई और दही आदि का दान करें। बता दें कि इन सब चीज़ों का दान शुक्रवार के दिन करें।
- मंत्र जाप: शुक्र देव से शुभ फल पाने के लिए “ॐ शुं शुक्राय नमः” मंत्र का नियमित रूप से 108 बार जाप करें। इससे आपके जीवन में धन-समृद्धि का आगमन होता है।
- सफेद रंग: शुक्र महाराज को सफ़ेद रंग अत्यंत प्रिय होता है और ऐसे में, इनको बलवान करने के लिए सफेद रंग के कपड़े ज्यादा से ज्यादा धारण करें।
- परफ्यूम और इत्र का उपयोग: शुक्र का संबंध सुगंध से भी है इसलिए इनको प्रसन्न करने के लिए आपको नियमित रूप से परफ्यूम और इत्र का उपयोग करना चाहिए।
- गाय को रोटी: सुबह के समय गाय को रोटी खिलाने से शुक्र देव मज़बूत होते हैं।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए शुक्र देव आपकी कुंडली में दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं जो
आपके छठे भाव में गोचर करने जा रहे हैं। शुक्र के गोचर को छठे भाव में अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना जाता है और ऊपर से, शुक्र ग्रह नीच के रहेंगे। ऐसे में, इस गोचर की अवधि में अपने प्रतिस्पर्धियों से सचेत रहने की आवश्यकता रहने वाली है। इस समय न चाहते हुए भी कुछ नए शत्रु बन सकते हैं यानी कुछ नए लोग भी आपसे नाराज हो सकते हैं या आपसी द्वेष वाली भावना रखना शुरू कर सकते हैं। शुक्र का कन्या राशि में गोचर के दौरान अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना जरूरी रहेगा। स्वास्थ्य के प्रति जरा सी भी लापरवाही आपको बीमार कर सकती है।
इस दौरान वाहन सावधानी से चलाना होगा। अत: ऐसे किसी कार्य को नहीं करें जिसमें चोट-खरोंच लगने का डर हो। किसी भी स्त्री से विवाद न करें। यदि विवाहित हैं, तो जीवन संगिनी या जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ख्याल रखना भी जरूरी रहेगा। इस गोचर के कारण आर्थिक और पारिवारिक मामले में भी सावधानी बरतनी होगी। रोजमर्रा के कामों में भी अब अपेक्षाकृत अधिक सजग रहने की आवश्यकता रहेगी। व्यापार-व्यवसाय को लेकर कोई जोखिम उठाना ठीक नहीं रहेगा। कुल मिलाकर, इस गोचर की अवधि में सावधानी पूर्वक निर्वाह करना होगा।
उपाय: कन्याओं का पूजन करके उनका आशीर्वाद लेना शुभ रहेगा।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों के लिए शुक्र आपकी कुंडली में आपके लग्न या राशि स्वामी होने के साथ-साथ आपके छठे भाव के भी स्वामी हैं जो आपके पंचम भाव में रहेंगे। हालांकि, पंचम भाव में शुक्र के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला माना जाता है। अत: आप अच्छे परिणामों की उम्मीद रख सकते हैं, लेकिन शुक्र की नीच अवस्था में होने से कुछ मामलों में सजग रहेंगे, तो परिणाम अच्छे मिल सकते हैं। पंचम में शुक्र का गोचर प्रेम संबंधों के लिए अच्छा माना गया है, लेकिन प्रेम संबंधों में भी सीमाओं में रहना होगा। मर्यादित तरीके से प्रेम करने की स्थिति में सब कुछ अच्छा चलता रहेगा। वहीं, मर्यादा भंग होने की स्थिति में बदनामी का भय उत्पन्न होगा।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर संतान सुख से संबंधित मामलों में अच्छे परिणाम देने वाला माना गया है, लेकिन इस मामले में भी लापरवाही न बरतें। विद्यार्थी भी मेहनत करने की स्थिति में अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकेंगे। मनोरंजन के दृष्टिकोण से भी इस गोचर को अच्छा कहा जाएगा, लेकिन महत्वपूर्ण कामों को छोड़कर मनोरंजन करने से बचने की सलाह दी जाती है। स्वास्थ्य का ख्याल रखना होगा। आर्थिक मामलों में कोई रिस्क न लें और विरोधियों को अपने से कमजोर नहीं आंकना है। इन सावधानियां को अपनाकर निर्वाह करने की स्थिति में आपको अच्छे परिणाम मिल सकेंगे।
उपाय: मां तथा मां समान स्त्रियों की सेवा करें और उनका आशीर्वाद लें।
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों के लिए शुक्र आपकी कुंडली में पांचवें और बारहवें भाव के भी स्वामी हैं। अब यह आपके चौथे भाव में जा रहे हैं। वैसे तो, सामान्य तौर पर शुक्र के गोचर को चौथे भाव में अच्छे परिणाम देने वाला माना जाता है। अतः शुक्र आपका फ़ेवर करना चाहेंगे। चौथे भाव में शुक्र के गोचर को मनोकामना पूरी करवाने वाला माना जाता है। अतः यदि आप मनोकामना से संबंधित प्रयत्न भी करेंगे, तो यह गोचर आपकी मदद करेगा क्योंकि बारहवें भाव का स्वामी नीच का होकर चौथे भाव में आया है। अतः घर-गृहस्थी से संबंधित चीजों पर कुछ धन खर्च भी हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि कुछ अनावश्यक चीजें भी आप खरीद लाएं। बेहतर होगा कि आवश्यक चीजों पर ही खर्च करें।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर के दौरान घर-गृहस्थी को सजाने-संवारने में भी आपका ध्यान रह सकता है। संबंधियों का आगमन भी हो सकता है, लेकिन कुछ संबंधियों के आचरण के चलते आपका मन व्यथित रह सकता है क्योंकि पंचम भाव का स्वामी नीच का हो रहा है। ऐसी स्थिति में प्रेम संबंधों को लेकर लापरवाह नहीं होना है। भले ही चौथे भाव में शुक्र के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला माना गया है, लेकिन शिक्षा और प्रेम संबंध को लेकर लापरवाह नहीं होंगे तो परिणाम अनुकूल बने रहेंगे।
उपाय: बहते हुए पानी में चावल प्रवाहित करें।
कर्क राशि
कर्क राशि वालों के लिए शुक्र आपकी कुंडली में चौथे और लाभ भाव के स्वामी हैं जो अब आपके तीसरे भाव में गोचर करने जा रहे हैं। सामान्य तौर पर तीसरे भाव में शुक्र के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला माना जाता है। शुभ समाचार दिलाने में शुक्र का यह गोचर आपके लिए मददगार हो सकता है। यात्राओं के भी योग बन सकते हैं, लेकिन शुक्र नीच का है। अत: यात्राओं की अवधि में सावधानी बरतनी होगी। शुक्र का कन्या राशि में गोचर आपको प्रतिद्वंदियों से आगे ले जाने में सहायता करेगा। आपके कॉन्फिडेंस को बढ़ाएगा, परंतु ओवर कॉन्फिडेंस से बचना होगा।
शुक्र नीच के रहेंगे और ऐसे में, भाई-बहन और पड़ोसियों के साथ संबंध अच्छे रहेंगे, लेकिन फिर भी संबंधों को लेकर लापरवाही न बरतें। चतुर्थ भाव का स्वामी नीच का होकर अपने से द्वादश भाव में जा रहा है। अतः घर-गृहस्थी को लेकर लापरवाह नहीं होना है। वाहन सावधानी से चलाना है। ऐसी कुछ सावधानियों को रखने की स्थिति में परिणाम अनुकूल रह सकते हैं, यानी कि सामान्य तौर पर आप अनुकूलता की उम्मीद रख सकते हैं। घर-गृहस्थी तथा आमदनी से संबंधित मामलों में सावधान रहें।
उपाय: महिलाओं का सम्मान करें और उनका आशीर्वाद लें।
सिंह राशि
सिंह राशि वालों के लिए शुक्र आपकी कुंडली में तीसरे भाव और दसवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके दूसरे भाव में जा रहे हैं। वैसे तो, दूसरे भाव में शुक्र के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला माना गया है। यह गोचर नए वस्त्र और नए आभूषण दिलाने का काम करता है। गीत-संगीत में रुचि को बढ़ाता है। परिजनों के साथ संबंधों को मज़बूत करता है और सदस्यों के साथ मनोरंजन के मौके देता है। आर्थिक लाभ भी करवाता है और साथ ही, शासन-प्रशासन से जुड़े मामलों में अनुकूलता भी देता है, लेकिन कुछ मामलों में नीच का होने के कारण व्यवधान भी दे सकता है।
जैसे शासन-प्रशासन से संबंधित मामलों में व्यवधान के बाद काम बनेंगे। इसके अलावा, शुक्र गोचर के दौरान सावधानी पूर्वक निर्वाह करने की स्थिति में ही काम बनेंगे, अन्यथा कामों में रुकावट रह सकती है। बेहतर होगा कि इन मामलों में सजग रहकर अच्छे परिणाम प्राप्त करें। वहीं, भाई-बंधु और पड़ोसियों के साथ संबंधों को मेंटेन करना भी जरूरी रहेगा। व्यर्थ की यात्राओं से बचना भी समझदारी का काम होगा अर्थात कुछ मामलों में सावधानी रखने की स्थिति में आप अच्छे परिणामों का आनंद ले सकेंगे।
उपाय: मां दुर्गा के मंदिर में गाय का घी दान करें।
कन्या राशि
कन्या राशि वालों के लिए शुक्र आपकी कुंडली में दूसरे और भाग्य भाव के स्वामी हैं जो अब आपके पहले भाव में करने जा रहे हैं। वैसे तो, प्रथम भाव में शुक्र के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला माना गया है। ऊपर से, आपके भाग्य स्थान का स्वामी प्रथम भाव में पहुंचा है, तो भाग्य का अच्छा साथ मिलना चाहिए। लेकिन, शुक्र नीच के हो गए हैं; जो कि एक कमजोर बिंदु है। ऐसी स्थिति में भाग्य के भरोसे नहीं बैठना है। भाग्य अप्रत्याशित रूप से या अचानक से आपका साथ दे भी सकता है, लेकिन कभी-कभी भाग्य के भरोसे बैठने से काम नहीं भी होता है। अतः प्रयत्न करते रहें और भाग्य का साथ मिलता जाएगा। यह एक अच्छी बात है।
पहले भाव में शुक्र का कन्या राशि में गोचर आर्थिक लाभ करवाने वाला कहा गया है। लेकिन, दूसरे भाव का स्वामी होकर शुक्र पहले भाव में आया है और नीच अवस्था में है। ऐसे में, बचत करने में कुछ दिक्कत हो सकती है यानी एक तरफ से कनेक्शन मजबूत हो रहा है, तो एक तरफ से कमजोर हो रहा है। अत: खूब प्रयत्न करके आप बचत कर सकते हैं। अच्छे लाभ प्राप्त कर सकेंगे। मेहनत की गति को बढ़ाने की आवश्यकता भी रहेगी। आमोद-प्रमोद से संबंधित मामलों में भी अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं। व्यापार में वृद्धि हो सकती है। विवाह से संबंधित मामले आगे बढ़ सकते हैं, लेकिन इन सभी मामलों में सावधानी पूर्वक निर्वाह करना भी जरूरी रहेगा। बातचीत में अच्छे शब्दों का चयन करें और पिता के साथ संबंधों को मधुर बनाए रखें। इन सावधानियों को बरतने पर आप अच्छे परिणाम की उम्मीद रख सकते हैं।
उपाय: काली गाय की सेवा करना शुभ रहेगा।
तुला राशि
तुला राशि वालों के लिए शुक्र देव आपकी कुंडली में लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ-साथ आठवें भाव के भी स्वामी हैं। वर्तमान में शुक्र गोचर करके आपके बारहवें भाव में गए हैं। वैसे तो बारहवें भाव में शुक्र के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला माना गया है क्योंकि काल पुरुष की कुंडली में बारहवें भाव में मीन राशि होती है और मीन राशि में शुक्र उच्च अवस्था के माने जाते हैं। लेकिन, वास्तविकता में शुक्र नीच के हो रहे हैं। अतः शुक्र से औसत परिणामों की उम्मीद रखनी चाहिए। ऐसा शुक्र भोग-विलास के मौके देता है, लेकिन अपनी आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए थोड़ा बहुत विलासिता से जुड़ना उचित रहेगा।
सामान्य शब्दों में कहें तो, खर्च उतना ही करें जितनी आपकी क्षमता है, तब ही चीजें अनुकूल रहेंगी। शुक्र का कन्या राशि में गोचर विदेश यात्रा करवाने में मददगार बन सकता है। मनोरंजन के मौके भी आपको मिल सकते हैं और कई मामलों में आर्थिक लाभ भी मिल सकता है। विशेषकर अप्रत्याशित रूप से कुछ आर्थिक लाभ मिल सकता है। इन सबके बावजूद भी लग्न या राशि के स्वामी के नीच होने के कारण आपको अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना होगा। कन्फ्यूजन होने की स्थिति में विशेषज्ञों से राय लेना भी समझदारी का काम होगा ताकि आप नकारात्मक परिणामों से बच सकेंगे और औसत ही सही लेकिन अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे।
उपाय: किसी सौभाग्यवती स्त्री को सम्मान पूर्वक सौभाग्य सामग्री भेंट करके उसका आशीर्वाद लें।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वालों के लिए शुक्र आपकी कुंडली में सातवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके लाभ भाव में जा रहे हैं। वैसे तो, लाभ भाव में शुक्र के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला माना जाता है। मान्यता है कि ग्रह नीच का हो, तब भी लाभ भाव में जाकर अच्छे परिणाम देता है। अतः शुक्र से हम अच्छे परिणामों की उम्मीद रख सकते हैं। लेकिन, स्वामित्व के आधार पर कुछ नकारात्मक परिणाम भी मिल सकते हैं। अतः मामले की गंभीरता को समझना जरूरी रहेगा।
वैसे सामान्य तौर पर शुक्र का लाभ भाव में गोचर धन-ऐश्वर्य में वृद्धि करवाने का काम कर सकता है। कामों में सफलता दे सकता है। भाइयों और मित्रों का अच्छा सहयोग दे सकता है, लेकिन सप्तमेश होकर नीच का होना जीवनसाथी के साथ संबंधों को थोड़ा सा कमजोर कर सकता है। अत: इस मामले में ध्यान रखेंगे तो परिणाम अनुकूल बने रहेंगे। यही स्थिति दैनिक रोजगार और व्यापार व्यवसाय में भी रहेगी। यदि आप शुक्र का कन्या राशि में गोचर के दौरान सावधानीपूर्वक काम करेंगे, तो परिणाम अनुकूल मिलते रहेंगे।
उपाय: शनिवार के दिन सरसों या तिल के तेल का दान करें।
धनु राशि
धनु राशि वालों के लिए शुक्र आपकी कुंडली में छठे और लाभ भाव के स्वामी हैं जो अब आपके दसवें भाव में जा रहे हैं। सामान्य तौर पर दसवें भाव में शुक्र के गोचर को अच्छा नहीं माना जाता है। ऊपर से शुक्र नीच के रहेंगे। अतः इस गोचर की अवधि में सावधानी पूर्वक निर्वाह करना जरूरी रहेगा। विशेषकर ऐसे लोग जो नौकरीपेशा हैं, उनके संबंध सहकर्मियों और वरिष्ठों से बिगड़ने न पाएं, इस बात का ख्याल रखें। विशेषकर स्त्री सहकर्मी के साथ संबंधों को मेंटेन करना जरूरी रहेगा। यदि आपके वरिष्ठ या बॉस कोई स्त्री है, तब तो आपको अधिक सजग रहना होगा।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर मानसिक चिंताएं देने वाला माना गया है। बहस या लड़ाइयां करवाने वाला भी कहा गया है। अत: हर मामले में विवाद से बचना रहेगा, लेकिन नौकरी और व्यापार से संबंधित मामलों में इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा। बेहतर होगा कि इस समय किसी नए काम से न जुड़े या कोई नया प्रयोग न करें, तो ज्यादा अच्छा रहेगा। शासन-प्रशासन से जुड़े हुए व्यक्तियों के साथ पूरे सम्मानजनक तरीके से पेश आएं। सामाजिक मामलों में भी गंभीरता पूर्वक निर्णय जरूरी रहेंगे।
उपाय: मांस-मदिरा और अंडे इत्यादि से दूर रहें और स्वयं को सात्विक बनाए रखें।
मकर राशि
मकर राशिवालों के लिए शुक्र आपकी कुंडली में पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं। अब यह गोचर करके आपके भाग्य भाव में जा रहे हैं। इस भाव में शुक्र ग्रह के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला माना जाता है। ऊपर से, कर्म स्थान के स्वामी का भाग्य भाव में जाना भी अच्छा कहा जाएगा। लेकिन, शुक्र नीच के रहेंगे, हमें इस बात को नजरअंदाज नहीं करना है। शुक्र आपके कामों को बनवाएंगे, लेकिन कामों में कुछ अड़चनें भी देखने को मिल सकती हैं। धार्मिक स्थानों की यात्रा हो सकती है, परंतु यात्राओं में कुछ परेशानियां भी रह सकती हैं।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर के दौरान घर-परिवार में कोई मांगलिक कार्य हो सकता है। लेकिन, उस कार्य को लेकर परेशानियां भी रह सकती हैं। यह गोचर भाग्य को बढ़ाने वाला माना गया है. परंतु नीच अवस्था को देखते हुए भाग्य के भरोसे न बैठने की सलाह दी जाती है क्योंकि पंचम भाव का स्वामी नीच का हो रहा है। अतः प्रेम संबंधों में भी सावधानी पूर्वक निर्वाह करना जरूरी रहेगा। इन सावधानियों को अपनाकर आप अच्छे परिणाम की उम्मीद रख सकते हैं।
उपाय: नीम के पेड़ की जड़ों पर जल चढ़ाना शुभ रहेगा।
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों के लिए शुक्र आपकी कुंडली में चौथे और भाग्य भाव के स्वामी हैं जो अब आपके आठवें भाव में जा रहे हैं। वैसे तो, आठवें भाव में शुक्र के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला माना जाता है। गोचर शास्त्र में कहा गया है कि आठवें भाव में शुक्र का गोचर कष्टों से मुक्ति दिलाता है। इतना ही नहीं, आठवें भाव में शुक्र गोचर को धन लाभ और सुख में वृद्धि करवाने वाला भी कहा गया है। लेकिन, चतुर्थ भाव के स्वामी का नीच होकर आठवें भाव में जाना इस बात की ओर भी इशारा कर रहा है कि आपको घर-गृहस्थी से संबंधित मामलों में बहुत सावधानी बरतनी होगी।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर के दौरान वाहन सावधानी से चलाना होगा जिससे चोट-खरोंच से बच सकें और वाहन भी सुरक्षित रहे क्योंकि भाग्य स्थान का स्वामी नीच का हो रहा है। ऐसी स्थिति में इस समय आपको भाग्य का सपोर्ट नहीं मिल पाएगा इसलिए अच्छे कर्मों को करने की आवश्यकता होगी। इस तरह के यत्न-प्रयत्न करके आप परिणामों को संतुलित करके अपने पक्ष में कर सकेंगे।
उपाय: नियमित रूप से मां दुर्गा के मंदिर जाएं और उन्हें झुक कर प्रणाम करें।
मीन राशि
मीन राशि वालों के लिए शुक्र आपकी कुंडली में तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके सातवें भाव में गए हैं। गोचर शास्त्र में सातवें भाव में शुक्र के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना गया है। ऊपर से शुक्र ग्रह नीच के रहेंगे। अतः इस गोचर की अवधि में आपको पूरी तरह से सावधानी बरतने की आवश्यकता रहेगी। तीसरे भाव का स्वामी नीच का होकर सातवें भाव में आया है। ऐसी स्थिति में अपने कॉन्फिडेंस को बनाए रखना होगा। कॉन्फिडेंस कम न होने पाए, परंतु ओवर कॉन्फिडेंस से भी बचना होगा। किसी प्रयोजन से जुड़ी कोई ऐसी खबर सुनने को मिल सकती है जो आपको पसंद न आए।
बेहतर होगा कोई रिएक्शन देने से पहले उस खबर की सत्यता की पुष्टि कर लें अर्थात जाँच कर लें कि जो खबर मिली है, वह वास्तव में सच है या अफवाह तो नहीं है? ऐसा करना संबंधों को मेंटेन करने में सहायक बनेगा। अष्टम भाव के स्वामी का सप्तम भाव में आना इस बात का भी संकेत करता है कि जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ख्याल रखना जरूरी रहेगा। साथ ही, जननेंद्रियों से संबंधित यदि कोई रोग आपको पहले से रहा है, तो उस समस्या को लेकर जागरूक रहना भी जरूरी होगा। व्यर्थ की यात्राओं से बचें। किसी स्त्री से विवाद बिल्कुल भी न करें और अपने काम-धंधे को लेकर सजग रहें अर्थात इस गोचर की अवधि में सावधानी पूर्वक निर्वाह करने की जरूरत रहेगी।
उपाय: लाल गाय की सेवा करना शुभ रहेगा।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. शुक्र का कन्या राशि में गोचर कब होगा?
शुक्र देव 9 अक्टूबर 2025 को कन्या राशि में गोचर कर जाएंगे।
2. कन्या राशि का स्वामी कौन हैं?
बुध ग्रह को कन्या राशि पर स्वामित्व प्राप्त हैं।
3. शुक्र ग्रह एक राशि में कितने दिन रहते हैं?
शुक्र महाराज एक महीने तक एक राशि में रहते हैं।