मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025: यह कोई साधारण तिथि नहीं है, बल्कि वह पवित्र दिन है, जब चंद्रमा अपनी पूर्ण शक्ति के साथ शुभता और समृद्धि का आशीर्वाद देता है। हर वर्ष यह पूर्णिमा अगहन/मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पर पड़ती है, जो सामान्यतः नवंबर–दिसंबर के बीच आती है।
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन किए गए व्रत, पूजन और दान का फल कई गुना बढ़ जाता है और विशेष रूप से उस वर्ष के ग्रह-नक्षत्र यदि शुभ बना दें तो इच्छापूर्ति की संभावना और भी प्रबल हो जाती है। इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुभ योग में पड़ रही है, जिसके कारण यह दिन आध्यात्मिक साधना, धन समृद्धि, मनोकामना पूर्ति और परिवार की उन्नति के लिए अत्यंत फलदायी माना जा रहा है।
माना जाता है कि इस तिथि पर विधिपूर्वक व्रत रखने, भगवान विष्णु-लक्ष्मी की आराधना करने और निश्चित उपाय करने से रुके काम पूरे होते हैं और जीवन में सौभाग्य का प्रवाह बढ़ता है। इस प्रकार, हर वर्ष आने वाली यह मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुभता, साधना और इच्छापूर्ति का एक अद्भुत अवसर लेकर आती है और इस बार इसका प्रभाव और भी विशेष रहने वाला है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 04 दिसंबर 2025 की शाम 08 बजकर 39 मिनट पर
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 05 दिसंबर 2025 की शाम 04 बजकर 45 मिनट तक।
उदया तिथि के अनुसार, साल 2025 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 04 दिसंबर को मनाई जाएगी।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 पर बन रहा है शुभ योग
4 दिसंबर को पड़ने वाली मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर विशेष ‘रवि योग’ बन रहा है। यह शुभ योग सुबह 6 बजकर 59 मिनट से दोपहर 2 बजकर 54 मिनट तक रहने वाला है। ज्योतिष के अनुसार रवि योग में किए गए सारे कार्य सफल होते हैं और समस्त प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं। ऐसे में इस पावन अवधि में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का स्नान, दान और पूजा करने से अत्यंत कल्याणकारी फल और अपार पुण्य की प्राप्ति होती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व
मार्गशीर्ष पूर्णिमा हिंदू पंचांग की अत्यंत पवित्र और फलदायी तिथि मानी जाती है। यह दिन भगवान विष्णु की विशेष उपासना के लिए सर्वोत्तम माना गया है, क्योंकि मार्गशीर्ष मास स्वयं श्रीकृष्ण द्वारा प्रिय बताया गया है। इस पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी पूर्ण चमक के साथ शुभ ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे साधना, दान और व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
मान्यता है कि इस तिथि पर किया गया स्नान, जप, ध्यान और दान न केवल पापों का नाश करता है बल्कि जीवन में सौभाग्य, धन-समृद्धि और मानसिक शांति भी लाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा को घर की नकारात्मकता दूर करने, रुके हुए कार्यों को गति देने और मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसलिए यह तिथि हर वर्ष आध्यात्मिक साधना का विशिष्ट अवसर लेकर आती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 की पूजा विधि
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पूजा अत्यंत सरल, पवित्र और अत्यधिक फलदायी मानी जाती है। परंपराओं में बताया गया है कि इस दिन की गई पूजा, व्रत और दान का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि के बारे में:
- सूर्योदय से पहले या सूर्य के उदय के समय पवित्र नदी, तालाब या घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के नाम से संकल्प लें मैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत और पूजा विधिपूर्वक कर रहा/रही हूं।
- पीले आसन पर बैठकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें रोली, चावल, पीले फूल, तुलसी की पत्तियां और पीला वस्त्र अर्पित करें। तुलसी पत्र अर्पित करना इस दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
- ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। इसके बाद घी या तिल के तेल का दीपक जलाकर भगवान को अर्पित करें।
- इस दिन दूध से बनी खीर, गुड़ या चावल का भोग चढ़ाना बहुत शुभ रहता है। भोग लगाने के बाद परिवार के सदस्यों में प्रसाद बांटें।
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर तुलसी पूजा विशेष रूप से उत्तम मानी जाती है। तुलसी पर जल, रोली, दीप और फूल अर्पित करें।
- स्नान और पूजा के बाद दान अवश्य करें। तिल, चावल, गुड़, कंबल, कपड़े या भोजन का दान पुण्य बढ़ाता है और मनोकामनाएं पूरी करता है।
- दिनभर सात्विक आचरण रखते हुए व्रत करें और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत सम्पन्न करें।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक निर्धन ब्राह्मण था, जो अत्यंत धर्मपरायण था लेकिन गरीबी के कारण हमेशा चिंतित रहता था। एक दिन वह अपने भाग्य से निराश होकर जंगल की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे एक दिव्य ऋषि मिले, जिन्होंने उसकी व्याकुलता का कारण पूछा। ब्राह्मण ने अपनी दरिद्रता और कष्टों की बात बताई। ऋषि मुस्कुराए और बोले, “मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को भगवान नारायण का विशेष आविर्भाव होता है। इस दिन स्नान, दान, दीपदान और उपवास करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट होते हैं और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
यदि तुम श्रद्धा से इस व्रत को करो, तो तुम्हारे जीवन के सभी अभाव दूर हो जाएंगे। ब्राह्मण ने ऋषि के निर्देश का पालन किया। पूर्णिमा के दिन उसने पवित्र नदी में स्नान किया, दीपदान किया, ब्राह्मणों को अन्न और वस्त्र दान किए और रात्रि जागरण किया। उसकी सच्ची भक्ति और निष्ठा देखकर भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया, ‘अब तुम्हारे जीवन में कभी धन की कमी नहीं होगी। सद्गुण और समृद्धि सदा तुम्हारे घर में निवास करेगी।’ कुछ ही दिनों में उसका जीवन बदल गया और वह अत्यंत समृद्ध हो गया। तब से मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत मनोकामना-पूर्ति और समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 में इन चीज़ों का करें दान
- काले तिल का दान करना चाहिए, इससे पितृ दोष में राहत और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- चावल और गेहूं का दान करना चाहिए, इससे घर में समृद्धि और धन का प्रवाह बढ़ता है।
- कंबल या गरम वस्त्र का दान करना चाहिए, इससे ग्रहजनित कष्ट कम होते हैं और शांति प्राप्त होती है।
- घी या तेल का दीप दान करना चाहिए, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मन शांत रहता है।
- हल्द, चना दाल या पीली वस्तुओं का दान करना चाहिए, इससे भाग्य मजबूत होता है और गुरु की कृपा बढ़ती है।
- गुड़ और खीर का दान करना चाहिए, इससे लक्ष्मी कृपा मिलती है और परिवार में खुशियां बढ़ती है।
- सफेद तिल या चावल का दान करना चाहिए, इससे चंद्र दोष शांत होता है और मानसिक शांति मिलती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 के दिन जरूर करें उपाय
स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए
यदि लंबे समय से स्वास्थ्य बिगड़ा रहता है तो सुबह स्नान के बाद भगवान शिव को सफेद फूल चढ़ाएं। इसके बाद तांबे के लोटे से जल व थोड़ा शहद मिलाकर शिवलिंग पर अभिषेक करें। इस दौरान ॐ त्र्यम्बकं यजामहे मंत्र का 21 बार जाप करें। यह उपाय शरीर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है और धीरे-धीरे स्वास्थ्य में सुधार लाता है।
नजर और नकारात्मक ऊर्जा हटाने के लिए
शाम के समय एक छोटी कटोरी में कपूर, लौंग और गुग्गल जलाएं। इस धूप को पूरे घर में दक्षिणावर्त घुमाएं। अंत में धूप को मुख्य द्वार के पास थोड़ा समय रख दें। इससे घर की नकारात्मक शक्ति शांत होती है और वातावरण में तुरंत सकारात्मकता आती है।
आर्थिक तंगी और धन की कमी दूर करने के उपाय
लक्ष्मी नारायण की तस्वीर के सामने गाय के घी का दीपक जलाएं। कमल गट्टों से ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। पूजा के बाद 5 कमलगट्टे अपनी तिजोरी या पर्स में रखें। यह उपाय धन वृद्धि, नए आय स्रोत और आर्थिक स्थिरता प्रदान करता है।
विवाह में रुकावटें समाप्त करने के उपाय
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शिव-पार्वती का संयुक्त पूजन करें। शिवलिंग पर हल्दी, केसर और गुलाबजल मिश्रित जल अर्पित करें। इसके बाद ॐ शिवायै नमः और ॐ पार्वत्यै नमः मंत्र का 51 बार जाप करें। यह उपाय विवाह योग को मजबूत करता है और शादी में आ रही सभी बाधाएं धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं।
घर में सुख-शांति बढ़ाने के उपाय
पीतल के लोटे में जल भरकर उसमें हल्दी के दाने डालें। इसे घर के ईशान कोण (उत्तर पूर्व दिशा) में रखें। पास में देसी घी का दीपक जलाएं। यह उपाय की सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय करता है और परिवार में शांति व सौहार्द बढ़ाता है।
मानसिक अशांति और तनाव दूर करने के उपाय
सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें और पीले कपड़े पहनें। शांत स्थान पर बैठकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। जाप के बाद कुछ मिनटों तक गहरी सांस लेकर ध्यान करें। इससे मन शांत होता है, निर्णय क्षमता बढ़ती है और चिंता कम होती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 4 दिसंबर को मनाई जाएगी, क्योंकि उदया तिथि इसी दिन पड़ती है।
इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर रवि योग बन रहा है।
भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा, तुलसी पूजा, दीपदान, जप और दान सबसे शुभ माने जाते हैं।

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